नई दिल्ली: सांसदों और विधायकों को बतौर वकील प्रैक्टिस करने से रोकने के लिए रविवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया की बैठक होगी. बार काउंसिल इस बात पर विचार करेगी कि संसद से वेतन, भत्ते और सुविधाएं लेने वाले इन लोगों का वकील के तौर पर प्रैक्टिस करना सही है या नहीं. इससे पहले बार काउंसिल ने इस मसले पर एक कमेटी का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट आ चुकी है. आज की बैठक में कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी.
बता दें इस समय कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, पी चिदंबरम, मीनाक्षी लेखी, विवेक तनखा, केटीएस तुलसी जैसे कई सांसद वकालत कर रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने बार काउंसिल में शिकायत की थी. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि भारत सरकार के कनसॉलिडेटेड फंड से तनख्वाह लेने वाले सांसद और विधायक वेतनभोगी हैं. इसलिए नियमों के तहत कोई वेतनभोगी वकालत नहीं कर सकता हैं.
उपाध्याय ने कहा कि सरकारी फंड से वेतन लेने वाले वकीलों का सरकार के खिलाफ जिरह करना अनैतिक है. सांसद और विधायक सदन में बैठ कर कानून बनाते हैं. दूसरी तरफ निजी पक्षों के लिए कोर्ट में पैरवी करते हैं. यह सीधे-सीधे हितों के टकराव का मामला है. बीजेपी नेता ने बार काउंसिल से यह भी कही कि ये वकील अक्सर बड़े कॉर्पोरेट ग्रुप के रिटेनरशिप पर होते हैं. कानून के खिलाफ़ काम करने के आरोपी क्लाइंट की पैरवी करते हैं.