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Mughal Mosque: 'कुतुब मीनार की मुगल मस्जिद संरक्षित स्मारक?, बताए ASI', नमाज अदा करने पर रोक के खिलाफ दिल्ली HC में सुनवाई
Delhi HC on Mughal Mosque: जस्टिस प्रतीक जालान ने पक्षों को तीन हफ्ते के अंदर अपनी लिखित दलीलें, उन प्राधिकारियों की प्रतियों के साथ दाखिल करने को कहा है, जिन पर वे भरोसा करना चाहते हैं.
![Mughal Mosque: 'कुतुब मीनार की मुगल मस्जिद संरक्षित स्मारक?, बताए ASI', नमाज अदा करने पर रोक के खिलाफ दिल्ली HC में सुनवाई Is Mughal Mosque near Qutub Minar a protected monument Delhi High Court asks Archeological Survey of India Mughal Mosque: 'कुतुब मीनार की मुगल मस्जिद संरक्षित स्मारक?, बताए ASI', नमाज अदा करने पर रोक के खिलाफ दिल्ली HC में सुनवाई](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/07/23/61e7d2cf0fe9647ccdb0980c3ec30af91690102399832628_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Qutub Minar Mughal Mosque: दिल्ली हाई कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को निर्देश दिया कि वह बताए कि कुतुब मीनार परिसर में स्थित मुगल मस्जिद संरक्षित स्मारक है या नहीं. कोर्ट मस्जिद में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था. कोर्ट ने कहा कि अगर मस्जिद संरक्षित स्मारकों की लिस्ट में शामिल है तो ये भी स्पष्ट करें कि वहां नमाज अदा की जा सकती है या नहीं.
बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक, मस्जिद की प्रबंधन समिति ने नमाज अदा करने पर लगी रोक के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी, जिस पर जस्टिस प्रतीक जालान सुनवाई कर रहे थे. कोर्ट ने पक्षों को तीन हफ्ते के अंदर अपनी लिखित दलीलें, उन प्राधिकारियों की प्रतियों के साथ दाखिल करने को कहा है, जिन पर वे भरोसा करना चाहते हैं. अब कोर्ट इस मामले में 13 अक्टूबर को सुनवाई करेगा.
कोर्ट ने ASI से मांगा रिकॉर्ड
कोर्ट ने 20 जुलाई को अपने आदेश में कहा कि इन प्रस्तुतियों और एएसआई के वकील की ओर से दी गई प्रारंभिक प्रस्तुतियों के आधार पर ऐसा लग रहा है बाकी मुद्दों के साथ इस पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है कि क्या मस्जिद 24 जनवरी, 1914 की अधिसूचना के तहत संरक्षित क्षेत्र में शामिल है, क्या वहां नामज पढ़ने पर रोक लगाई जा सकती है. विचाराधीन मस्जिद, जिसे मुगल मस्जिद कहा जाता है, कुतुब मीनार परिसर के अंदर स्थित है, लेकिन कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद से अलग है, जो साकेत कोर्ट के समक्ष एक लंबित मामला है.
याचिकाकर्ता ने दिया ये तर्क
दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से नियुक्त याचिकाकर्ता समिति ने कहा कि मस्जिद 1914 की अधिसूचना में एएसआई द्वारा अधिसूचित संरक्षित स्मारकों में शामिल नहीं है और 13 मई, 2022 तक वहां नमाज अदा की जाती थी. उन्होंने दावा किया कि पिछले साल बिना किसी नोटिस के अधिकारियों ने मस्जिद में नमाज बंद कर दी थी और प्रबंधन समिति को इसकी कोई सूचना भी नहीं दी गई. समिति ने इस फैसले को गैरकानूनी और मनमाना बताया था.
वहीं, आर्कियोलॉजिकल विभाग ने कहा कि मौजूदा मामले में मुगल मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित किए जाने के बाद से इसके अंदर कोई प्रार्थना नहीं की गई. इस परभी कोर्ट ने विभाग से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
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