नई दिल्ली: सीटों के बंटवारे को लेकर जेडीयू और बीजेपी में अभी से तनातनी शुरू हो गई है. बिहार में विधानसभा के चुनाव अभी साल भर दूर हैं. लेकिन फार्मूले पर विवाद बढ़ गया है. एनडीए गठबंधन में कौन सी पार्टी, कितने सीटों पर लड़ेगी. प्रशांत किशोर ने इस चुनाव के लिए नया सुझाव दिया है. वे चाहते हैं कि सीटों का बंटवारा 50-50 का न हो. जैसा पिछले लोकसभा चुनाव में हुआ था.
प्रशांत जेडीयू के लिए बीजेपी के मुकाबले अधिक सीटें चाहते हैं. बस यहीं से बात बढ़ गई है. प्रशांत किशोर उर्फ पीके का विरोध जेडीयू में भी है. बीजेपी वाले तो सत्तू पानी लेकर उनके पीछे पड़े हैं. बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने प्रशांत किशोर को खूब भला बुरा कहा. उन्हें चुनावी डाटा जुटाने और नारा बनाने वाला तक कह दिया. मोदी ने कहा ऐसे लोग राजनीति से दूर रहें. पलट कर प्रशांत किशोर ने भी आज ट्वीट कर जवाब दिया है. पीके ने कहा कि नीतीश कुमार को गठबंधन की अगुवाई करने के लिए जनता ने चुना है बीजेपी ने नहीं. वे कहते हैं कि सुशील मोदी को हार कर भी डिप्टी सीएम बने हुए हैं.
वैसे प्रशांत के नए फार्मूले पर मिर्ची तो जेडीयू के नेता आर सी पी सिंह को भी लगी है. पीके के बयान पर उन्होंने कहा कि कुछ लोग बयान देते रहते हैं. उन्हें इसकी आदत है. हम चुनाव में नीतीश कुमार की अगुवाई में लड़ेंगे. अभी सीटों पर कोई बातचीत नहीं हुई है.
अब ये जान लें कि आखिर प्रशांत किशोर ने क्या फार्मूला दिया है. जिससे बिहार में राजनैतिक घमासान मचा है. पीके चाहते हैं कि इस बार 1:1.3 के आधार पर सीटों का बंटवारा हो. उनके हिसाब से जेडीयू के 140 सीटों पर लड़ना चाहिए. जबकि बीजेपी के खाते में 100 सीटें हों. दोनों पार्टियां अपने-अपने कोटे से रामविलास पासवान की पार्टी के लिए सीटें छोड़ दें.
2010 में बीजेपी और जेडीयू साथ मिल कर चुनाव लड़े थे तब लोक जन शक्ति पार्टी गठबंधन से बाहर थी. 141 सीटें पर लड़ कर जेडीयू ने 115 सीटें जीत गई थी. जबकि 102 सीटों पर चुनाव लड़ कर बीजेपी के खाते में 91 सीटें आईं थी. 2015 में गठबंधन टूट गया था. नीतीश कुमार और लालू यादव साथ मिल कर चुनाव लड़े थे.
झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव के बाद से ही बीजेपी के सहयोगी दलों के मूड और तेवर बदलने लगे हैं. बीजेपी के अड़ियल रुख से नीतीश कुमार भी नाराज बताए जाते हैं. मोदी के कैबिनेट में मनचाही जगह न मिलने से वे बाहर हो गए. नरेंद्र मोदी के दुबारा पीएम बनने के बाद से कभी भी उनसे मिलने वे दिल्ली तक नहीं आए.
ऐसा समझा जा रहा है कि नीतीश से हरी झंडी मिलने पर ही प्रशांत किशोर इन दिनों मन की बात कर रहे हैं. सीटों के बंटवारे का फार्मुला दे रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भी सीटों केबंटवारे को लेकर जेडीयू अड़ गई थी. मामला बराबरी पर छूटा था. बीजेपी और जेडीयू, दोनों 17-17 सीटों पर चुनाव लड़े. कहा जा रहा है कि इसके पीछे भी प्रशांत किशोर की रणनीति ही थी.