भारत में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के दो मामले मिलने के बाद हड़कंप मच गया है. कर्नाटक के दो लोग ओमिक्रोन वैरिएंट से संक्रमित पाए गए हैं. इन सबके बीच एक अहम खबर ये है कि ओमिक्रोन कोरोना का कोई आखिरी वैरिएंट नहीं है. दक्षिण अफ्रीका में अनुसंधानकर्ताओं ने 24 नवंबर, 2021 को कोविड-19 के नए वैरिएंट ओमीक्रीन (B.1.1.529) की पहचान की और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दो दिन बाद इसे ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ करार दिया.


ओमिक्रोन कोरोना वायरस के वैरिएंट के मामले में बेहद अलग है, क्योंकि यह अब तक सार्स-सीओवी-2 का सबसे ज्यादा बदला हुआ वैरिएंट है. इसके जेनेटिक स्ट्रक्चर (आनुवांशिक संरचना) में कुल 53 म्यूटेशन हैं और अकेले स्पाइक प्रोटीन के 32 म्यूटेशन हैं. स्पाइक प्रोटीन- सार्स सीओवी-2 वायरस के बाहर निकली हुई एक गांठ हैं, जो वायरस को कोशिकाओं से जुड़ने में मदद करती है ताकि यह उसमें घुस सके.


अगर वायरस के वैरिएंट से तुलना करें तो डेल्टा वैरिएंट में 9 म्यूटेशन थे. ओमिक्रोन में ज्यादा म्यूटेशन का यह मतलब हो सकता है कि यह ज्यादा संक्रामक है या फिर वैक्सीन के सुरक्षा कवच से बचने में ज्यादा बेहतर है. इस तरह की सारी आशंकाएं बेहद चिंताजनक हैं. पेशे से विषाणु विज्ञानी सुरेश वी कुचीपुड़ी का रिसर्च ग्रुप कोविड-19 के विभिन्न पहलुओं पर स्टडी कर रहा है, जिसमें इसके जानवरों में प्रसार को लेकर की जाने वाली स्टडी भी शामिल है.


क्यों नए वैरिएंट उभर रहे


ओमिक्रोन में म्यूटेशन की असामान्य रूप से बड़ी संख्या हैरान करने वाली है, लेकिन इसके अन्य वैरिएंट का सामने आना अप्रत्याशित नहीं है. क्या ओमिक्रोन वैरिएंट में ज्यादा म्यूटेशन का मतलब है कि यह डेल्टा से ज्यादा खतरनाक और संक्रामक है? इसका सीधा सा जवाब है कि अभी हमें इसकी जानकारी नहीं है. वैरिएंट के पैदा होने की स्थितियां अभी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि इसमें म्यूटेशन की संख्या सामान्य नहीं है.


ऐसे लोगों में ज्यादा म्यूटेशन का खतरा


इसकी एक व्याख्या यह है कि ऐसे मरीज, जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली दब गई हो, उसके लंबे समय तक बीमार रहने से कई म्यूटेशन हो सकते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है, जो विषाणु के लगातार होने वाले विकास को जन्म दे सकती है. रिसर्च करने वालों के जताए गए अनुमान के मुताबिक पहले के कुछ सार्स-सीओवी-2 वैरिएंट जैसे कि अल्फा लगातार संक्रमित हो रहे मरीज से पैदा हुआ हो सकता है. हालांकि ओमिक्रोन के कई म्यूटेशन इसे अलग ही बनाते हैं और इस पर यह सवाल उठता है कि यह कैसे आया.


कहां से आया ओमिक्रोन वैरिएंट


वायरस के वैरिएंट का एक अन्य संभावित स्रोत पशु हो सकते हैं. जिस वायरस से कोविड-19 होता है, वह जानवरों की कई प्रजातियों को संक्रमित कर सकता है, जिनमें बाघ, शेर, बिल्ली और कुत्ते समेत अन्य शामिल हैं. रिसर्चर कहते हैं कि यह एक ऐसी स्टडी है, जिसकी अभी समीक्षा नहीं हुई है. एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने हाल में पाया कि अमेरिका में खुले क्षेत्र और बंद क्षेत्र मे रखे गए सफेद पूंछ वाले हिरण ज्यादा संख्या में संक्रमित पाए गए हैं. इसलिए ओमिक्रोन के किसी जानवर से उभार की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता. स्टडी में यह पाया गया कि सार्स-सीवोवी-2 के मूल और शुरुआती वैरिएंट की तुलना में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने का ज्यादा खतरा रहता है.


तो क्या ओमिक्रोन डेल्टा की जगह लेगा?


हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि ओमक्रोन डेल्टा से ज्यादा शक्तिशाली है. ओमिक्रोन में कुछ म्यूटेशन डेल्टा वैरिएंट के हैं, लेकिन इसमें अन्य वैरिएंट के भी म्यूटेशन हैं, जो कि बिल्कुल अलग है. वहीं एक खास कारण से अनुसंधान समुदाय ओमिक्रोन को लेकर चिंतित है, क्योंकि इसमें रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में 10 म्यूटेशन है (स्पाइक प्रोटीन का वह हिस्सा जो कोशिकाओं में प्रवेश में मध्यस्थता की भूमिका निभाता है) जबकि डेल्टा वैरिएंट में ये सिर्फ दो ही थे. इस बात की ज्यादातर आशंकाएं हैं कि ओमिक्रोन वैरिएंट सार्स-सीओवी-2 का अंतिम वैरिएंट नहीं है और इसके और भी वैरिएंट आने की आशंकाएं हैं और कोविड-19 के प्रसार को ध्यान में रखते हुए ऐसे वैरिएंट भी सामने आ सकते हैं जो डेल्टा से ज्यादा संक्रामक हों.


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