फिल्मों की प्री-सेंसरशिप: सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रसारण मंत्रालय, सेंसर बोर्ड को नोटिस जारी किया
नई दिल्ली: मशहूर अभिनेता और निर्देशक आमोल पालेकर ने फिल्मों की प्री सेंसरशिप की गाइडलाइंस की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है.
न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने पालेकर की अर्जी पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है.
पालेकर के वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने फिल्मकार श्याम बेनेगल की अगुवाई वाली समिति की रिपोर्ट पर कार्यवाही की मांग की है. समिति ने सुझाव दिया था कि सेंसर बोर्ड की भूमिका फिल्मों के सर्टिफिकेट तक सीमित की जानी चाहिए.
शीर्ष अदालत में दायर अपनी अर्जी में 72 साल के अभिनेता ने फिल्मों की प्री सेंसरशिप की व्यवस्था समाप्त कर उनकी सेंसरशिप में ढील की मांग की है.
अर्जी में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता सिनेमाटोग्राफ अधिनियम, 1952 और सिनेमाटोग्राफ (प्रमाणन) नियमावली, 1983 के प्रावधानों को चुनौती दे रहा है जो कलाकारों एवं दर्शकों की बोलने की आजादी एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रीसेंसरशिप लगाता है. ’’
उसमें कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता किसी भी फिल्म में कांटछांट, बदलाव का आदेश देने और किसी भी फिल्म को प्रमाणन न देने की ताकत संबंधी प्रावधानों और शक्तियों के दुरूपयोग से प्रताड़ित है.’’