क्या महाराष्ट्र की महाविकास अघाडी सरकार में नहीं है ऑल इज वेल? इन वजहों से उठा रहा है ये सवाल
महाराष्ट्र में जब से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर महाविकास आघाडी सरकार का गठन किया है तब से ही सरकार में शामिल कांग्रेस समय-समय पर अपनी नाराजगी जताती रही है.
क्या महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार में ऑल इज वेल नहीं है? क्या सरकार में शामिल कांग्रेस खुश नहीं है और क्या शिवसेना से बीजेपी की नज़दीकियां बढ़ रही है ? यह सब सवाल इसलिए क्योंकि राज्य की राजनीति में फिलहाल जो कुछ चल रहा है उससे कुछ यही लगता है.
महाराष्ट्र में जब से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर महाविकास आघाडी सरकार का गठन किया है तब से ही सरकार में शामिल कांग्रेस समय-समय पर अपनी नाराजगी जताती रही है. अब सीधे राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने निशाने पर लिया है.
पटोले ने सीएम और उप-मुख्यमंत्री पर उन पर नजर रखने का गंभीर आरोप लगा दिया है. यही वजह है की सवाल खड़ा होता है कि क्या वाकई में महाराष्ट्र विकास आघाडी में सब कुछ ठीक है? आपको बता दें कि बीते शनिवार को महाराष्ट्र के लोनावला में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नाना पटोले ने उप-मुख्यमंत्री अजित पवार का नाम लिए बिना कहा कि “पुणे का प्रभारी मंत्री” कोई बारामती का है. वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं का काम नहीं करते ऐसी शिकायतें हैं.
पटोले यहीं नहीं रुके और यहां तक कह दिया कि भले ही कांग्रेस पार्टी सरकार में शामिल होगी, लेकिन कुछ लोग उनकी पीठ में छुरा घोंपना का काम कर रहे हैं. एक तरफ कांग्रेस सीधे सरकार में शामिल शिवसेना और एनसीपी को निशाने पर ले रही है तो दूसरी तरफ शिवसेना अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में देश के नए सहकारिता मंत्री अमित शाह को मिल प्रभार की प्रशंसा कर रही है.
ऐसे में अटकलें लग रही है कि क्या 2022 में होने वाले बीएमसी चुनाव से पहले शिवसेना बीजेपी फिर साथ आ सकते है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि फिलहाल इसकी संभावना कम दिखती है. इसकी दो बड़ी वजह हैं- एक केंद्र में नारायण राणे को बीजेपी कोटे से मंत्री बनाना और दूसरी महाराष्ट्र विधानसभा से बीजेपी के 12 विधायकों को सरकार द्वारा विधानसभा से निलंबित करना.
उधर नाना पटोले के आरोप पर एनसीपी ने भी जवाब दिया है. नवाब मलिक ने कहा कि नाना ने अधूरी जानकारी के आधार पर ऐसा बयान दिया है. पृथ्वीराज चौहान, सुशील कुमार शिंदे, अशोक चौहान जैसे पूर्व मुख्यमंत्री से पहले बात कर ले.
जानकारों की मानें तो कांग्रेस इस बात को अच्छी तरह समझती है कि अगर गठबंधन में लड़े तो कम सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा. महाराष्ट्र में कांग्रेस का अपना जनाधार पहले से रहा है. जितनी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी उतना ही फायदा पार्टी को पूरे महाराष्ट्र में पहुंचाने में फायदा होगा.
हालांकि, समय-समय पर कांग्रेस की ओर से आ रहे बयानों ने एनसीपी को मुश्किल में डाल दिया है और शायद यही वजह है कि शरद पवार को कहना पड़ा कि वह नाना पटोले जैसे छोटे व्यक्तियों के बयान पर जवाब नहीं देते. लेकिन यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि बिना कांग्रेस की मदद से एनसीपी महाराष्ट्र में कुछ खास कर पाएगी क्योंकि दलित और मुस्लिम वोट आज भी एनसीपी से ज्यादा कांग्रेस के साथ खड़ा दिखाई देता है.
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