सूरत से पकड़े गए IS आतंकियों पर बड़ी जंग, सीएम रुपाणी ने मांगा अहमद पटेल का इस्तीफा
बता दें कि अहमदाबाद के खाडिया इलाके में बम विस्फोट की योजना बनाने वाले दो आतंकियों को गुजरात एटीएस ने पकड़ा था.
सूरत: सूरत से पकड़े गए आतंकी संगठन आईएसआईएस के दो आतंकियों में से एक कासिम अंकलेश्वर के सरदार पटेल हॉस्पिटल एंड हार्ट इंस्टीट्यूट में टेक्नीशियन था. अब इस मामले पर कांग्रेस और बीजेपी में बड़ी जंग छिड़ गई है. आज गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि जिस अस्पताल से आईएस के आतंकी को पकड़ा गया है, कांग्रेस सांसद अहमद पटेल उस अस्पताल के ट्रस्टी हैं, इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और पूरे मामले पर अपनी सफाई देनी चाहिए.
अहमद पटेल ने दिया आरोपों पर जवाब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने बीजेपी की तरफ से लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है. उन्होंने कहा है, ''बीजेपी के सभी आरोप बेबुनियाद है. ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है इसलिए इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए.'' उन्होंने कहा है कि आतंकियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.'' जो दोषी हो उसे फांसी पर लटका दिया जाए- कांग्रेसवहीं इस मामले को लेकर बीजेपी के सभी आरोपों को खारिज करते हुए गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने कहा, ‘’राज्य और केंद्र में बीजेपी की सरकार है. ऐसे में जो दोषी हो उसे फांसी पर लटका दिया जाए.’’ उन्होंने कहा कि अस्पताल लोगों की सेवा के लिए है. इस मामले पर राजनीति न की जाए.
अस्पताल ने खारिज किया विजय रुपाणी का दावा
हालांकि सीएम विजय रुपाणी के इस दावे को अस्पताल ने खारिज कर दिया है. अस्पताल ने एक प्रेस रिलीज़ में कहा है कि कासिम उनके यहां काम करता था और उसकी नियुक्ति सभी नियमों के पालन के बाद हुई थी. अस्पताल के मुताबिक, चार अक्टूबर 2017 को कासिम नौकरी छोड़कर चला गया था.
अस्पताल ने कहा है कि अफवाह फैलाई जा रही है कि अहमद पटेल और उनका परिवार अस्पताल के ट्रस्टी हैं. अस्पताल की तरफ से सफाई दी गई है कि इस अस्पताल के ट्रस्ट या मैनेजमेंट में अहमद पटेल या उनके परिवार का कोई भी सदस्य शामिल नहीं है.
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि अहमदाबाद के खाडिया इलाके में बम विस्फोट की योजना बनाने वाले दो आतंकियों को गुजरात एटीएस ने पकड़ा था. कासिम टिम्बरवाला ओर उबेद मिर्ज़ा दोनों आतंकी खाडिय़ा में धार्मिक स्थल को निशाना बनाने वाले थे. इसके लिए इनकी ओर से यहूदियों के आराधना स्थल की रैकी करने की बात सामने आई है.
संदिग्ध आतंकी अंकलेश्वर के एक अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के रूप में काम करता था. जबकि ओबेद मिर्जा सूरत में वकील के रूप में प्रेक्टिस कर रहा था.