नई दिल्ली: कर्नाटक चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और कोई भी पार्टी बहुमत का जादुई आंकड़ा नहीं छू सकी है. बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी है. वहीं कांग्रेस ने जेडीएस को बिना शर्त समर्थन दे कर एक बड़ा दांव चल दिया है. कांग्रेस ने कहा है कि वो जेडीएस साथ मिलकर सरकार बनाएगी. इससे पहले गोवा और मणिपुर में बीजेपी ने इसी तरह चुनाव के बाद गठबंधन कर के सरकार बनाई थी. अब सवाल ये उठता है कि क्या जनादेश का अपमान करके तिकड़मबाजी के जरिए सरकार बनाना लोकतंत्र में सही है या गलत? नियम है कि जो सबसे बड़ी पार्टी होती है उसे राज्यपाल पहले सरकार बनाने का निमंत्रण देते हैं लेकिन गोवा और मणिपुर का उदाहरण देखें तो वहां पर राज्यपाल ने दूसरी बड़ी पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता दिया था.
सबसे पहले 1997 में प्रमोद महाजन ने इस तरह सरकार बनाने की शुरूआत की थी. 21 साल बाद वही हाल कर्नाटक में नजर आ रहा है जहां के जनादेश में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई लेकिन बहुमत नहीं मिला. बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए दावा तो पेश कर दिया है लेकिन अभी इंतजार है कि राज्यपाल सरकार बनाने के लिए कब बुलाएंगे. बीजेपी की ही तरह अब कांग्रेस भी तिकड़मबाजी में जुट गई है. कांग्रेस ने कहा है कि जेडीएस के कुमारास्वामी मुख्यमंत्री बनेंगे.
अगर बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिलता है तो उसे बहुमत के लिए विधायकों का इंतजाम करना होगा. ऐसी स्थिति में देखा गया है कि पार्टियां अन्य दलों के विधायकों की खरीद-फरोख्त करती हैं. कर्नाटक में 1952 के बाद 72.13 फीसदी का रिकॉर्ड मतदान करने वाली जनता इस वक्त सियासत का जोड़ तोड़ गुणा भाग वाला चेहरा देखकर खुद को ठगा महसूस कर रही है.
क्या कहते हैं नियम
परंपरा है कि राज्यपाल पहले सबसे बड़ी पार्टी तो सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं. हालांकि हाल के ही उदाहरण लें तो गोवा और मणिपुर में राज्यपाल ने सरकार गठन के लिए दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्यौता दिया. और इन दोनों जगह पर न्यौता पानी वाली पार्टी विधानसभा में बहुमत साबित करने में कामयाब रही.
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि ऐसी स्थिति के लिए सरकारिया कमीशन ने सुझाव पेश किया है. अगर कोई भी पार्टी बहुमत में है तो सबसे पहले राज्यपाल उसे सरकार बनाने का मौका देते हैं. वहीं कमीशन की सिफारिश के मुताबिक अगर कहीं भी त्रिशंकू विधानसभा की स्थिति बनती है तो राज्यपाल सबसे पहले चुनाव से पहले बने गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे.
अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं. अगर सबसे बड़ी पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो फिर चुनाव के बाद हुए गठबंधन को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया जाता है.