क्या सज्जाद लोन का अलग होना गुपकार गठबंधन के पतन की है शुरुआत?
गुपकार गठबंधन को लेकर शुरू से ही सवाल उठने लगे थे. वहीं जिला विकास परिषद चुनाव आते-आते गठबंधन के विवाद खुलकर सामने आने लगे. चुनाव के बाद दिसंबर 2020 में कांग्रेस ने गठबंधन का साथ छोड़ दिया था.
जम्मू: जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर जारी राजनीतिक लड़ाई में अब और हलचल बढ़ गई है. हाल ही में जम्मू कश्मीर में राजनीतिक पार्टियों के गुपकार गठबंधन में टूट की खबर सामने आई. सज्जाद लोन की पार्टी जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस गुपकार गठबंधन से अलग हो चुकी है. जिसके बाद सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या गुपकार गठबंधन का अंत अब शुरू हो चुका है?
सज्जाद लोन ने अलग होते हुए फारूक अब्दुल्ला को चिट्ठी लिखी है. अपनी पार्टी के फैसले की जानकारी अब्दुल्ला को देते हुए सज्जाद लोन ने चिट्ठी में लिखा, 'हाल ही में हुए जिला विकास परिषद के चुनाव में गठबंधन में शामिल दलों ने गठबंधन की मर्यादा का पालन नहीं किया और गठबंधन के उम्मीदवारों के खिलाफ प्रोक्सी उम्मीदवार उतारे.' सज्जाद लोन ने कहा कि जो लड़ाई अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए लड़ी जानी थी वो गठबंधन वालों से ही लड़ी गई. ऐसे में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का गुपकार में शामिल रहना संभव नहीं है और यह गठबंधन से अलग हो रही है.
बीजेपी का हाथ?
बता दें कि गुपकार गठबंधन को लेकर शुरू से ही सवाल उठने लगे थे. वहीं जिला विकास परिषद चुनाव आते-आते गठबंधन के विवाद खुलकर सामने आने लगे. चुनाव के बाद दिसंबर 2020 में कांग्रेस ने गठबंधन का साथ छोड़ दिया था. वहीं अब जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस भी अलग हो गई. गठबंधन में शामिल जम्मू कश्मीर आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुज्जफर शाह के मुताबिक सज्जाद लोन की पार्टी के अलग होने से गठबंधन पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा और सज्जाद लोन के फैसले के पीछे बीजेपी का हाथ है. वह बीजेपी के करीबी है.
राजनीतिक मतभेद
हालांकि इन आरोपों को अपनी पार्टी ने नकार दिया है. अपनी पार्टी के महासचिव रफी मीर ने गठबंधन पर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि गठबंधन अनुच्छेद 370 के लिए नहीं, केवल चुनावों में वोट हासिल करने के लिए बनाया गया था और चुनाव नतीजे के बाद टूटना शुरू हो गया है. वहीं 2020 में गुपकार से अलग होने वाली कांग्रेस इस टूट को सामान्य बता रही है. पार्टी नेता छनी सिंह के मुताबिक गुपकार में शामिल सभी दल अलग-अलग विचारधारा के हैं. उनके बीच के राजनीतिक मतभेद चुनावी राजनीति के सामने हार गए है. आखिर सभी दल चुनावी जीत और सत्ता के लिए ही मैदान में है.
नहीं पड़ेगा कोई असर
हालांकि पीडीपी ने इस बात से इनकार किया है. पीडीपी का कहना है कि गठबंधन का कोई चुनावी मकसद नहीं है. पीडीपी नेता रौफ भट्ट के मुताबिक गुपकार में शामिल सभी दल चुनावी राजनीती से ऊपर केवल राज्य के विशेष दर्जे को वापस लाने की लड़ाई के लिए बना है और इस मुद्दे पर कोई भी मतभेद नहीं है. पीडीपी के मुताबिक सज्जाद लोन के अलग होने या गठबंधन में शामिल रहने से इस लड़ाई पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा.
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