भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना को हराने के लिए तेजी से वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. जब से पूरी दुनिया में कोरोना के लिए वैक्सीन बनकर तैयार हुई है, तब से सभी देशों में इस बात पर जंग छिड़ी हुई है कि आखिर कोविड-19 वैक्सीन की कितनी खुराक एक व्यक्ति के लिए पर्याप्त है. जब कोरोना से पूरी दुनिया निपटने के लिए वैक्सीन लगाने का एक बड़ा लक्ष्य रखा तब सभी का ध्यान बस वैक्सीनेशन पर था, पर अब जब कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया गया है तब एक्सपर्ट और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोगों के बीच कोविड-19 वैक्सीन का बूस्टर डोज चर्चा का विषय बना हुआ है.


ICMR ने नहीं दी है बूस्टर डोज की अनुमति


इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भारत में बूस्टर डोज को मंजूरी नहीं दी है. वहां के एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी इस तरह के कदम उठाने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इस विषय के ऊपर अभी पर्याप्त अध्ययन नहीं किया गया है. मशहूर वायरोलॉजिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ गगनदीप कांग ने कहा कि लोग बूस्टर डोज लेकर अधिक एंटीबॉडी बनाएंगे अभी यह कहना सही नहीं है, क्योंकि इसपर अध्ययन नहीं किया गया है, और भारत में फिलहाल इस तरह के कदम की कोई जरूरत नहीं है.


कोविड-19 बूस्टर डोज के लिए इजराइल और ब्रिटेन लगातार वकालत कर रहे हैं. इजराइल ने तो पूर्ण पासपोर्ट के लिए बूस्टर खूराक को अनिवार्य कर दिया है. भारत में इन देशों से स्थिति काफी अलग है, भारत के कई अस्पतालों में लोग बूस्टर डोज के बारे में पता लगा रहे है.


कर्नाटक के कोविड-19 प्रबंधन के तकनीकि सलाहकार समीति के वरिष्ठ डॉक्टरों ने कहा कि अगर सभीको नहीं तो स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंट लाइन वर्कर को बूस्टर खुराक दी जानी चाहिए.  


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