Omicron Variant: केंद्र ने ओमिक्रोन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (FAQ)की सूची जारी की. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि सार्स-सीओवी-2 के नये स्वरूप ओमिक्रोन पर मौजूदा टीकों के काम नहीं करने के बारे में कोई साक्ष्य नहीं है, हालांकि कुछ म्यूटेशन टीकों के प्रभाव को कम कर सकते हैं.


हालांकि, मंत्रालय ने इस बात का जिक्र किया कि नये स्वरूप द्वारा प्रतिरक्षा तंत्र को चकमा देने के बारे में साक्ष्य का इंतजार है. मंत्रालय ने कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (FAQ) की एक सूची जारी की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे 'Variant Of Concern' बताया है. नये स्वरूप के दो मामले बृहस्पतिवार को कर्नाटक में सामने आए हैं.







 


मंत्रालय ने इस सूची के जरिए, मौजूदा टीकों के ओमिक्रोन वैरिएंट के खिलाफ काम करने से जुड़े प्रश्न के उत्तर में कहा है ‘‘ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह बताता हो कि मौजूदा टीके ओमिक्रोन पर काम नहीं करते हैं, हालांकि स्पाइक जीन पर पाए गये कुछ उत्परिर्वतन मौजूदा टीकों के असर को कम कर सकते हैं.’’


इसमें कहा गया है कि हालांकि एंटीबॉडी के द्वारा टीका सुरक्षा को अपेक्षाकृत बेहतर रूप से संरक्षित रखने की उम्मीद है. इसलिए, टीकों से गंभीर रोग के खिलाफ सुरक्षा मिलने की उम्मीद है और टीकाकरण जरूरी है.कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की संभावना पर मंत्रालय ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के बाहर के देशों से ओमिक्रोन के मामलों का सामने आना बढ़ता जा रहा है और इसकी जो विशेषता है उसके अनुसार इसके भारत सहित अधिक देशों में फैलने की संभावना है.


हालांकि, किस स्तर पर मामले बढ़ेंगे और रोग की गंभीरता को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत में टीकाकरण की तीव्र गति और डेल्टा स्वरूप के प्रभाव को देखते हुए इस रोग की गंभीरता कम रहने की उम्मीद है. हालांकि, वैज्ञानिक साक्ष्य अब तक नहीं आए हैं.’’


क्या मौजूदा नैदानिक पद्धति ओमिक्रोन का पता लगा सकते हैं, इस प्रश्न के उत्तर में मंत्रालय ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 के लिए सर्वाधिक स्वीकार्य और बड़े पैमाने पर अपनाई गई जांच आरटी-पीसीआर पद्धति है. मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह पद्धति वायरस में विशेष जीन की पहचान करती है, जैसे कि स्पाइक (एस) जीन आदि. हालांकि, ओमिक्रोन के मामले में स्पाइक जीन अत्यधिक म्युटेट है.’’


मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस खास एस जीन के साथ अन्य जीन का उपयोग ओमिक्रोन की नैदानिक विशेषता के तौर पर किया जा सकता है. हालांकि, ओमिक्रोन स्वरूप की अंतिम पुष्टि जीनोमिक सीक्वेंसिंग से करने की जरूरत होगी.’’ मंत्रालय ने कहा कि ओमिक्रोन को उसके म्यूटेशन, अत्यधिक संक्रामकता और प्रतिरक्षा को चकमा देने को लेकर चिंता पैदा करने वाला वैरिएंट बताया गया है. इसने जोर देते हुए कहा पहले की तरह ही एहतियात बरतने और कदम उठाने की जरूरत है. मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है और समय-समय पर उपयुक्त दिशानिर्देश जारी कर रही है.


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