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क्या है FRDI बिल? अगर बैंक डूबे तो जमा धन का कितना हिस्सा आपको मिलेगा?

नए बैंक डिपॉजिट बिल के एक प्रावधान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को यह अधिकार दिया जा सकता है कि बैंक के दिवालिया होने की स्थिति में बैंक ये तय करेगा कि जमाकर्ता को कितने पैसे वापस करने हैं.

नई दिल्ली: गुजरात चुनाव की राजनीतिक गहमागहमी के बीच बैंकों को लेकर एक नया बिल इस समय मीडिया में काफी चर्चा में है. इस बिल का नाम है फाइनेंशियल रेज़्यूलेशन एंड डिपोज़िट इंन्श्योरेंस बिल (एफआरडीआई). इस नए बैंक डिपॉजिट बिल के एक प्रावधान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू बैंकों) को यह अधिकार दिया जा सकता है कि दिवालिया होने की स्थिति में बैंक खुद ये तय करेगा कि जमाकर्ता को कितने पैसे वापस करने हैं. यानि की अगर बैंक डूबता है तो जमाकर्ता के सारे पैसे भी डूब सकते हैं.

इस बिल के जंगल की आग की तरह फैलने के बाद ऑनलाइन पेटीशन का दौर शुरू हो गया है.  जिसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली की सफाई आई है कि इससे बिल से कम रकम जमा करने वाले उपभोक्ताओं को कोई नुकसान नहीं होगा. जेटली ने कहा कि सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि वो जमाकर्ताओं के धन की रक्षा करेगी.

 करीब 63 फीसदी भारतीयों ने अपना पैसा सरकारी (पीएसयू बैंकों) में जमा किया

आपको बता दें कि 63 फीसदी के करीब भारतीयों ने अपना पैसा सार्वजनिक या सरकारी बैंकों (पीएसयू बैंकों) में जमा कर रखा है. केवल 18 फीसदी लोगों ने ही प्राइवेट बैंक में अपना पैसा जमा किया है.

मालूम हो कि जब हम बैंक में पैसा जमा करते हैं तो उसके बदले में हमें बैंक से किसी भी प्रकार की गारंटी नहीं मिलती है. इस तरीके से हम एक असुरक्षित जमाकर्ता हैं. भारत के मुकाबले दुनिया के अन्य देशों में लोग बैंक में कम पैसा रखते हैं.

ये बिल अभी संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. यह बिल तैयार कर के अगस्त महीने में ही संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया है.

बता दें कि सरकारी बैंकों के एनपीए (नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट) बैड लोन इस समय बढ़ कर छह लाख करोड़ से ज्यादा का हो गया है. भारत के सबसे बड़ी सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एनपीए इस साल के जून महीने में एक लाख 88 हजार करोड़ का हो चुका है. ये आंकड़े बैंकों की बदहाली की स्थिति को दर्शाते हैं. ऐसी स्थिति में अगर बैंक डूबते हैं तो वे खुद को दिवालियापन से उबारने के लिए आम जनता के पैसों का इस्तेमाल करेंगे और नए बिल के मुताबिक उन्हें ये अधिकार मिल सकता है कि वे जमाकर्ता को कितना पैसा वापस करेंगे.

क्या है मौजूदा नियम

वर्तमान नियम भी कम जनता विरोधी नहीं हैं. मौजूदा नियम के मुताबिक अगर बैंक में आपकी 10 लाख रुपये तक की राशि जमा है और अगर बैंक डूबे तो केवल 1 लाख रुपये तक की राशि वापस मिलेगी. बाकी पैसा बैंक खुद को संभालने के लिए आपका पैसा निगल जाएगा. और हां आप किसी कोर्ट कोचहरी में केस भी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि सरकार ने बैंक को ये अधिकार पहले ही दे रखा है.

दरअसल, अभी बैंक हरेक जमाकर्ता को एक लाख रुपये तक की गारंटी देता है. गारंटी डिपॉजिट इन्‍श्‍योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) के तहत ये गारंटी मिलती है. यानि अगर जमाकर्ता ने 50 लाख रुपये भी जमा कर रखे हैं और अगर बैंक डूबता है कि सिर्फ एक लाख रुपये ही मिलने की गारंटी है. बाकी रकम असुरक्षित क्रेडिटर्स के क्‍लेम की तरह डील किया जाता है.

यानि मौजूदा नियम में यह प्रावधान है कि दिवालिया होने की स्थिति में बैंक को एक निश्चित राशि जमाकर्ता को वापस करनी होगी, लेकिन नए नियम को लेकर अफवाह ये है कि बैंक खुद तय करेंगे तो आपको कोई रकम दी भी जाए या नहीं, और अगर दी जाए तो कितनी  रकम दी जाए.

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