सद्गुरु को मिली सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, CJI ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, जानिए क्या है पूरा मामला
Isha Foundation Case: ईशा फाउंडेशन के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि इच्छा से संन्यास लेने वाली 2 साध्वियों के परिवार के नाम पर हाई कोर्ट में याचिका दर्ज हुई और जबरन परेशान किया जा रहा है.
Supreme Court Stays Madras High Court Order: सदगुरु जग्गी वासुदेव आश्रम के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट ने रोक दी है. जिस मामले को सुनते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने आश्रम की जांच का आदेश दिया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास ट्रांसफर कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट के जजों ने यह आदेश देने से पहले उन दोनों साध्वियों से बात की, जिन्हें जबरन आश्रम में रखने का आरोप लगाया गया था. दोनों ने इस आरोप को गलत बताया.
सदगुरु की तरफ से चलाए जाने वाली संस्था ईशा फाउंडेशन के खिलाफ 2 साध्वियों के पिता ने मद्रास हाई कोर्ट में हैबियस कॉर्पस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि फाउंडेशन के कोयम्बटूर आश्रम में उनकी बेटियों को जबरन रखा गया है. 30 सितंबर को हाई कोर्ट ने पुलिस को दोनों की बरामदगी का आदेश दे दिया. हाई कोर्ट ने पिता की याचिका में लगाए गए उन आरोपों की जांच का भी निर्देश दिया, जिसमें आश्रम से जुड़े लोगों पर कई लड़कियों के यौन शोषण का आरोप लगाया गया था.
ईशा फाउंडेशन ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
हाई कोर्ट के आदेश के बाद कोयंबटूर ग्रामीण पुलिस के सैकड़ों जवान आश्रम में पहुंच गए और वहां रहने वालों से पूछताछ शुरू कर दी. इसके खिलाफ ईशा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. फाउंडेशन के लिए पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने इस पूरी कार्रवाई को साज़िश बताया.
उन्होंने कहा कि दोनों बहनें वहां अपनी इच्छा से रह रही हैं. उनके परिवार का इस्तेमाल कर फाउंडेशन को बदनाम किया जा रहा है. रोहतगी ने अनुरोध किया कि जज दोनों साध्वियों से खुद बात करें.
चीफ जस्टिस ने खुद की साध्वियों से बात
इसके बाद चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारडीवाला और मनोज मिश्रा ने अपने चैंबर में जा कर दोनों बहनों से बात की. दोनों बहनें लता और गीता कामराज कोयम्बटूर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए जजों से जुड़ीं. उन्होंने बताया कि 2009 में वह अपनी इच्छा से आश्रम में आई थीं. तब उनकी उम्र 27 और 24 साल थी. वह अपने बारे में फैसला लेने में समर्थ थीं. दोनों ने बताया कि उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट को भी यह बताया था कि वह अपनी इच्छा से आश्रम में रहती हैं, लेकिन हाई कोर्ट ने जांच का आदेश दे दिया.
साध्वियों ने कोर्ट के जजों को क्या बताया?
जजों से बातचीत के दौरान दोनों बहनों ने जानकारी दी कि 8 साल पहले भी उनकी माता ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. यह याचिका तब हाई कोर्ट ने खारिज की थी. उसी याचिका को 8 साल बाद अब पिता ने दाखिल कर दिया है, जबकि पुराने मामले में उनके पिता भी पक्ष थे. उन्होंने भी कोर्ट में अपनी बात रखी थी. बार-बार एक ही तरह की याचिका दाखिल कर उन्हें और आश्रम से जुड़े लोगों को परेशान किया जा रहा है.
साध्वियों की बात से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट
दोनों साध्वियों से बात कर कोर्ट में वापस लौटे जज संतुष्ट नज़र आए. चीफ जस्टिस ने कहा कि उनकी उम्र 42 और 39 साल है. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि उनके ऊपर कोई दबाव नहीं है. उन्हें आश्रम से बाहर जाने से नहीं रोका जाता. हाल ही में एक बहन ने हैदराबाद जाकर 10 किलोमीटर की मैराथन दौड़ में हिस्सा भी लिया है. ऐसे में हम पुलिस की कार्रवाई आगे जारी रखने की ज़रूरत नहीं समझते. हम केस अपने पास ट्रांसफर कर रहे हैं. पुलिस हमें रिपोर्ट सौंपे. मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.
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