Bangladesh Violence: बांग्लादेश में मंदिर पर हमले को लेकर ISKCON ने मांगा न्याय, कहा- नहीं थम रहा है हिंसा का सिलसिला
साउथ ब्लॉक देश के आधे से अधिक प्रशासनिक जिलों में अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती के बावजूद उन घटनाओं की घटनाओं को लेकर चिंतित है, जिन्हें बांग्लादेश के अधिकारी रोकने या नियंत्रित करने में असमर्थ हैं.
कोलकाता: कोलकाता इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर हुए हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि पिछले कुछ दिनों में बांग्लादेश में हिंसा का सिलसिला थमा नहीं है.
राधारमण दास ने बताया, ''स्थिति बहुत गंभीर हैं , जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विदेश मंत्री ने दुर्गा पूजा के 9 दिनों से चल रही हिंसा को नियंत्रित करने के लिए बांग्लादेश सरकार को एक पत्र भेजा था. लेकिन, अगले दिन शुक्रवार को 500 लोगो ने नोआखली में इस्कॉन मंदिर पर हमले का आह्वान किया. वहां पर हुई हिंसा बहुत खतरनाक थी, एक श्रद्धालु का अपहरण कर लिया गया था और अगले दिन तालाब में शव मिला था और कई भक्त गंभीर रूप से घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है. उन्होंने किताब की दुकानों और मंदिर के देवताओं को तोड़ा. उन्होंने हमारे संस्थापक आचार्य भक्तिवेदांत की मूर्ति को जला दिया और क्षेत्र में 150 घरों को भी नष्ट कर दिया."
राधारमण दास ने कहा, "उस दिन मुझे खतरनाक खबर के बारे में पता नहीं चला, सोमवार की सुबह मायापुर में एक भक्त परिवार रहता है, उसने उन्हें उनकी स्थिति के बारे में जानने के लिए फोन किया और वे रोए और कहा कि उन्हें कुछ भी न कहने के लिए कहा गया था. कहा तो मार दिया जाएगा. पूछने पर उन्होंने कहा कि एक महिला और उसके बच्चे और उस महिला की बहन का बच्चा भी जो इस बच्चे के साथ खेलने आई थी, उनमें से 3 के साथ बलात्कार किया गया और कल मैंने यह भी देखा कि बांग्लादेश के एक समाचार चैनल ने यह खबर प्रसारित की कि एक 10 साल की लड़की की बलात्कार के मार दी गयी. इस तरह के दिल दहला देने वाला अपडेट हर घंटे हमारे पास आ रहे हैं.''
क्या है बांग्लादेश में रह रहे लोगों की समस्या?
साउथ ब्लॉक देश के आधे से अधिक प्रशासनिक जिलों में अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती के बावजूद उन घटनाओं की घटनाओं को लेकर चिंतित है, जिन्हें बांग्लादेश के अधिकारी रोकने या नियंत्रित करने में असमर्थ हैं. समस्याओं के बारे में राधारमण दास ने बताया कि नोआखली में सौमवार सुबह से ना इंटरनेट है और ना ही बिजली जिसके कारन लोगो से संपर्क नहीं हो पा रहा हैं.
दास ने आगे बताया कि एक बड़ी समस्या यह है कि आज, सोमवार की सुबह करीब साढ़े पांच बजे से छह बजे तक मेरे पास फोन आया, उन्होंने कहा कि वे नोआखली के भक्तों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. यह बहुत खतरनाक स्थिति है क्योंकि यहां तक कि मोबाइल सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं और जरा सोचिए कि अगर किसी इलाके में हमला होता है तो वे पुलिस को कैसे बुलाएंगे? इसलिए, वे इस बात से बहुत परेशान हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है और उन्होंने यह भी कहा कि रात के दौरान कई जगहों पर, उत्तरी बांग्लादेश के एक इलाके में कई घरों में आग लगा दी गई है. भक्त बहुत डरे हुए हैं और कह रहे हैं कि क्यों पूरी दुनिया खामोश है, क्यों सन्नाटा है जब से 9 दिन से चल रही हिंसा, कोई अंतरराष्ट्रीय नेता नहीं, संयुक्त राष्ट्र जिसकी एक अलग संस्था है, जिसे मानवाधिकार आयोग कहा जाता है, क्यों हैं? वे काफी हम इंसान नहीं हैं?"
बांग्लादेश सरकार से क्या हैं सवाल?
कोलकाता के उपाध्यक्ष इस्कॉन ने स्वीकार किया कि "बांग्लादेश सरकार प्रयास कर रही है. शेख हसीना जी कोशिश कर रही हैं. उन्होंने पुलिस भेज दी है. उनके मंत्री भी कह रहे हैं कि जो हो रहा है वह बहुत गलत है. उन्होंने यह भी कहा है कि जो कुछ हो रहा है वह एक साजिश है."
दास ने बांग्लादेश के सरकार से सवाल करते हुए कहा "लेकिन मेरा सवाल यह है कि यह ठीक है कि यह एक साजिश है और इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता, सब कुछ ठीक है. लेकिन क्या ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय समुदायों को आगे नहीं आना चाहिए? सब चुप क्यों बैठे हैं? क्यों? क्या कारण है? बस यही सवाल हमारे दिलों को बेचैन कर रहा है. अब हम व्हाइट हाउस के सामने खड़े होने की योजना बना रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र के सामने खड़े होकर उनसे एक बयान जारी करने के लिए कह रहे हैं कि बांग्लादेश में लोग मर रहे हैं. इसके लिए हमें भीख मांगनी होगी. आज हमारी यही स्थिति है. लेकिन क्यों?"
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