नई दिल्लीः कभी सोशल मीडिया लोगों के बीच चर्चा-परिचर्चा, बातचीत और जुड़ने का साधन हुआ करता था, लेकिन अब के दौर में यह एक ऐसा माध्यम बन गया है जिसके जरिए गलत खबरों का प्रचार प्रसार किया जा रहा है. सोशल मीडिया के जरिए न सिर्फ गलत खबरें फैलाई जा रही है बल्कि लोग दूसरे को धर्म और व्यक्ति को नीचा दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि साउथ-अमेरिकन ह्यूमन राइट्स और टेक्नलॉजी रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने मिलकर फेसबुक इंडिया पर पोस्ट किए जा रहे कंटेंट का सर्वे किया. इस कंटेंट में करीब 37 प्रतिशत पोस्ट इस्लामोफोबिया से जुड़े हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक इंडिया पर पोस्ट किए गए खबरों में 16 प्रतिशत खबरें फेक न्यूज होती है. रिसर्च के बाद मिले डाटा के मुताबिक 13 प्रतिशत पोस्ट हेट स्पीच से भरे होते हैं. फेसबुक पर कई ऐसे पोस्ट डाले जाते हैं जो कि मानवता के खिलाफ भी होते हैं.
कैसे हुआ रिसर्च
रिसर्च ऑर्गनाइजेशन पिछले 4 महीने से छह भारतीय भाषाओं के पोस्ट पर नजर रखे हुए था. इनमें हिंसा की वकालत करने वाले पोस्ट, किसी को धमकाने, अपमानजनक शब्दों और गालियों का प्रयोग किया गया है. जिस आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है उसके लिए फेसबुक की ओर से जारी गाइडलाइन का ख्याल रखा गया है. अखबार के मुताबिक हेट स्पीच और एक-दूसरे को नीचा दिखाने वाले करीब 93 प्रतिशत फेसबुक से हटाए नहीं गए हैं. ऐसे पोस्ट अभी भी फेसबुक के टाइमलाइन पर दिखते हैं. इसके लिए फेसबुक की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया गया है.
क्या कहता है फेसबुक
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए फेसबुक के प्रवक्ता ने बताया, ''हम किसी भी अभद्र भाषा को गंभीरता से लेते हैं. हमारे पास अभद्र भाषा के खिलाफ नियम है. जैसे ही हमें अभद्र भाषा के बारे में जानकारी मिलती है. हम उसे तुरंत हटा देते हैं.''
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