कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए आइसोलेशन कोच में होगा फिर बदलाव, बनेंगी 125 नई श्रमिक स्पेशल ट्रेनें
कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए आइसोलेशन कोच में बदलाव होगा.अब तक एक भी आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल नहीं हुआ है.
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नई दिल्ली: रेलवे बोर्ड ने रेलवे के 5,000 से अधिक आइसोलेशन कोच में से 60 फीसदी कोच को दोबारा सामान्य यात्री कोच में बदलने का निर्णय लिया है. इन रेल कोचों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के रूप में चलाया जाएगा.
कोच में फिर से कई बड़े बदलाव करने होंगे
सामान्य रेल कोच को क्वॉरन्टीन सेंटर में बदलने के लिए हर कोच के ट्वाईलेट को हटा कर वहां बाथरूम बनाया गया है. बीच की सीटें निकाल दी गई हैं. हर कंपार्टमेंट में पारदर्शी पर्दे लगाए गए हैं. इन सब बदलावों को अब फिर से पहले जैसा करना होगा.
आइसोलेशन कोच से बनेंगी 125 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें
रेलवे बोर्ड के आदेश के अनुसार उपलब्ध आइसोलेशन कोच का 60 फीसदी लेने पर करीब 3,000 कोच श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए उपलब्ध होंगी. एक पूरी क्षमता वाली श्रमिक स्पेशल में 24 कोच लगते हैं. इस लिहाज से कुल 125 नई श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा सकेंगी. इस तरह ट्रेन स्टाफ के अलावा हर खेप में 2,12,500 अतिरिक्त मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाया जा सकेगा.
अब तक एक भी आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल नहीं हुआ है
रेलवे ने फरवरी-मार्च में नॉन एसी रेल कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का काम तेजी से किया था. लक्ष्य था कोरोना के मरीजों के लिए 20,000 रेल कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदलना. ताकि हॉस्पिटल ऑन व्हील्स तैयार हो सकें. लेकिन जल्द ही ये अनुभव हुआ कि स्वास्थ्य विभाग इन आइसोलेशन वार्ड में मरीजों को नहीं रखना चाहता क्योंकि रेल कोच में बने ये वार्ड बेहद गर्म हैं और सिर्फ गर्मी का मौसम खत्म होने पर और अत्यधिक आवश्यकता होने पर ही मरीजों को इसमें रखा जा सकता है.
इसीलिए रेलवे ने 25 फीसदी लक्ष्य पूरा करने के बाद ही इस काम को ये कहते हुए बंद कर दिया था कि मांग होने पर और आइसोलेशन बनाने का काम किया जाएगा. पर अब तक एक भी रेल कोच आइसोलेशन की मांग नहीं आई. लिहाजा अब रेलवे बोर्ड चाहता है कि खाली पड़े ये कोच फिर से पटरी पर लाए जाएं.
जल्दबाजी या सरकार की दूरदर्शिता
3,000 सामान्य कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने करीब 10 करोड़ रूपए का खर्च आया था. अब इसे वापस सामान्य कोच में बदलने में भी रेलवे को लगभग इतना ही खर्च करना होगा. रेलवे का कहना है कि आइसोलेशन बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं की गई बल्कि कोरोना से निपटने में हमारा रेस्पांस टाईम अच्छा था. सरकार और जनता के सामूहिक प्रयास से अच्छा हुआ कि इन आइसोलेशन कोचों के इस्तेमाल की नौबत अब तक नहीं आई है.
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