इजरायली राजदूत ने नफरती मैसेज का स्क्रीनशॉट किया शेयर, हिटलर को बताया गया महान
राजदूत गिलोन ने मंगलवार को ट्विटर पर एक 'ओपन लेटर' में भारत से माफी मांगी थी. गिलोन ने कहा कि नादव लापिड ने 'सबसे खराब तरीके' से जूरी के पैनल के लिए भारतीय निमंत्रण का दुरुपयोग किया.
Israel Ambassador Tweet: भारत में इजरायल के राजदूत नोर गिलोन (Naor Gilon) ने शनिवार को एक संदेश का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि संदेश भेजने वाले शख्स ने होलोकॉस्ट को सही ठहराया और हिटलर को महान बताया था. गिलोन ने कहा कि वह उस व्यक्ति की पहचान छुपा रहे हैं. वहीं, एक फॉलो-अप ट्वीट में गिलोन ने कहा कि मैसेज पोस्ट करने पर मिले समर्थन से वह बेहद अच्छा महसूस कर रहे हैं.
उन्होंने ट्वीट किया, "मैं आपके समर्थन से अभिभूत हूं... ऊपर लिखा डीएम किसी भी तरह से सोशल मीडिया सहित भारत में हमारी मित्रता को नहीं दर्शाता है. हमें संयुक्त रूप से इसका विरोध करने और सभ्य स्तर की चर्चा को बनाए रखने की आवश्यकता है." उल्लेखनीय है कि गोवा में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में 'द कश्मीर फाइल्स' को एक 'प्रोपेगेंडा' और 'अश्लील फिल्म' कहने वाले अपने देश के एक फिल्मकार की सार्वजनिक रूप से निंदा करने के कुछ दिनों बाद गिलोन का यह संदेश सामने आया है.
I’m touched by your support. The mentioned DM is in no way reflective of the friendship we enjoy in 🇮🇳, including on social media. Just wanted this to be a reminder that anti-Semitism sentiments exist, we need to oppose it jointly and maintain a civilized level of discussion🙏. https://t.co/y06JJNbKDN
— Naor Gilon (@NaorGilon) December 3, 2022
ओपन लेटर में मांगी माफी
राजदूत गिलोन ने मंगलवार को ट्विटर पर एक 'ओपन लेटर' में भारत से माफी मांगी थी. गिलोन ने कहा कि नादव लापिड ने 'सबसे खराब तरीके' से जूरी के पैनल के लिए भारतीय निमंत्रण का दुरुपयोग किया. उन्होंने कहा, "भारतीय संस्कृति में वे कहते हैं कि एक अतिथि भगवान की तरह होता है. आपने @IFFIGoa में जूरी के पैनल की अध्यक्षता करने के लिए भारतीय निमंत्रण के साथ-साथ विश्वास और सम्मान का सबसे खराब तरीके से दुरुपयोग किया है."
नादव लापिड ने भी मांगी माफी
नादव लापिड ने कहा था कि फिल्म समारोह में जूरी सदस्य 'द कश्मीर फाइल्स' से 'परेशान और स्तब्ध' थे. दो दिनों के बाद उन्होंने 'माफी' की पेशकश की. उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य कश्मीरी पंडित समुदाय या पीड़ित लोगों का अपमान करना नहीं था.
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