Israel Hamas Crisis: फिर सामने आया पश्चिमी देशों का डबल फेस, निज्जर-पन्नू केस में भारत से सवाल, लेकिन हानिया की हत्या पर चुप्पी
Israel Hamas Crisis: कहा जा रहा है कि अमेरिका-इजरायल के सहयोग के चलते विदेशी धरती पर गैर-नागरिकों की हत्या में कई अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होने के बाद भी किसी ने इस पर कोई चर्चा नहीं की.
Israel Hamas War: ईरान की राजधानी तेहरान में 31 जुलाई को हमास नेता इस्माइल हानियेह की हत्या ने एक तरफ जहां इजरायल, हमास और ईरान के बीच तनाव बढ़ा दिया है. वहीं दूसरी तरफ इस हत्या ने एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया है. सवाल है वैश्विक स्तर पर अपनाए जाने वाले दोहरे मापदंड पर.
दरअसल, मई 2024 से लेकर जुलाई 2024 तक के तीन महीनों में इजरायल के दुश्मन या विरोधी कहे जाने वाले 5 लोग मारे जा चुके हैं. 24 मई को ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और उनके विदेश मंत्री हुसैन की एक संदिग्ध हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हुई. इसके बाद 13 जुलाई को इजरायल की सेना ने गाजा में हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दीफ को मौत के घाट उतारा. 27 जुलाई को हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुकर को लेबनान के बेरुत में एक हवाई हमले में ढेर किया गया. इसके बाद 31 जुलाई को हमास नेता इस्माइल हानियाह की ईरान में हत्या हुई.
पांच संदिग्ध मौत, फिर भी किसी ने नहीं उठाया सवाल
इन पांच मामलों में से रईसी और हुसैन की मौत को हादसा बताया गया, लेकिन कई लोगों ने इस पर संदेह जताया, जबकि बाकी में साफ है कि इजरायल का हाथ है. सबसे बड़ी बात ये है कि इब्राहिम रईसी और उनके विदेश मंत्री हुसैन को छोड़कर बाकी सभी हत्याएं दूसरे देश में हुईं. इसके बाद भी किसी ने इसे लेकर सवाल नहीं उठाया, जबकि पिछले साल भारत को दो निज्जर और पन्नू मामले में संदेह के आधार पर ही कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी थी.
अमेरिकी मीडिया ने भी ओढ़ ली चुप्पी की चादर
द संडे गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और इजरायल के घनिष्ठ सहयोग के चलते विदेशी धरती पर गैर-नागरिकों की हत्या से संबंधित कई अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होने के बाद भी किसी भी देश ने इस पर कोई चर्चा नहीं की. किसी ने भी इसकी आलोचना नहीं की. अमेरिकी मीडिया ने भी इन मामलों पर अपनी जुबान नहीं खोली. उसे इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखा, जबकि इसी अमेरिकी मीडिया ने कुछ टाइम पहले खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित हत्या के प्रयास में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ का हाथ बताते हुए इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था.
यही नहीं शक के आधार पर निखिल गुप्ता नाम के भारतीय नागरिक को जेल में बंद किया गया है. अमेरिकी सरकार ने भी इस मुद्दे पर कई बार भारत से सवाल किए हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति पिछले साल कनाडा में खालिस्तानी निज्जर की हत्या के बाद हुई थी. कनाडा ने तो सीधे-सीधे इसमें भारत का हाथ बताया था, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्ते में खटास आई.
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