Priyanka Gandhi on Israel and Hamas War: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार (26 जुलाई 2024) को गाजा पर युद्ध को लेकर इजरायल सरकार की आलोचना की. उन्होंने वैश्विक समुदाय से तेल अवीव के नरसंहारकारी कार्यों की निंदा करने और उन्हें रोकने के लिए मजबूर करने का आह्वान भी किया. बता दें कि यह युद्ध अपने 10वें महीने में प्रवेश कर चुका है और अब तक इसमें करीब 40,000 लोग मारे जा चुके हैं.


प्रियंका गांधी ने एक्स पर लिखा, "यह हर सही सोच वाले व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी है, जिसमें इजरायल के नागरिक भी शामिल हैं जो घृणा और हिंसा में विश्वास नहीं करते हैं, और दुनिया की हर सरकार की जिम्मेदारी है कि वे इजरायल सरकार की निंदा करें... उनकी हरकतें एक ऐसी दुनिया में अस्वीकार्य हैं जो सभ्यता और नैतिकता का दावा करती है."


बेंजामिन नेतन्याहू के भाषण के बाद आई प्रियंका की प्रतिक्रिया


प्रियंका गांधी ने आगे लिखा कि क्या अब केवल नागरिकों, माताओं, पिताओं, डॉक्टरों, नर्सों, सहायता कर्मियों, पत्रकारों, शिक्षकों, लेखकों, कवियों, वरिष्ठ नागरिकों और हजारों मासूम बच्चों के लिए बोलना पर्याप्त नहीं है, जो गाजा में हो रहे भयानक नरसंहार में दिन-प्रतिदिन खत्म हो रहे हैं. प्रियंका गांधी की यह प्रतिक्रिया बुधवार को संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाषण के बाद आई.






जरायली सरकार की जमकर की आलोचना


प्रियंका गांधी यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने आगे लिखा, "... हम अमेरिकी कांग्रेस में इजरायली प्रधानमंत्री को खड़े होकर तालियां बजाने की तस्वीर के अधीन हैं. वह (इजरायली नेता) इसे 'बर्बरता और सभ्यता के बीच टकराव' कहते हैं... वह बिल्कुल सही हैं, सिवाय इसके कि वह और उनकी सरकार बर्बर है.... और उनकी बर्बरता को पश्चिमी दुनिया के अधिकांश देशों का भरपूर समर्थन प्राप्त है."


7 अक्टूबर से शुरू हुआ युद्ध


हमास के नेतृत्व वाले लड़ाकों ने 7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इज़राइल में धावा बोला था. जिसमें 1,200 लोग मारे गए और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया था. इस घटना के बाद ही इजरायल ने युद्ध की घोषणा की थी और गाजा पर हमला किया था. इजरायल के हमले में करीब 40,000 लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश नागरिक और बच्चे हैं. इसके अलावा लाखों लोग विस्थापित हुए हैं. हमास ने अब भी इजरायल के 120 लोगों को बंधक बना रखा है. इज़राइल का मानना ​​है कि उनमें से लगभग एक तिहाई मर चुके हैं. महीनों तक रुक-रुक कर बातचीत करने के बाद भी उनकी रिहाई के लिए कोई समझौता नहीं हो पाया है.


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