इजरायल को क्यों है बड़े खतरे की आशंका, 'अस्तित्व की चुनौती' तक पहुंच गई है बात
इजरायल के विदेश मंत्रालय के मुताबिक ईरान के इस्लामिक संगठनों की मदद के चलते देश के लिए खतरा बढ़ सकता है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच इजरायल को एक बड़े खतरे की चिंता सता रही है. इजरायल और ईरान के बीच तनाव किसी से छिपा नहीं हैं. भले ही दोनों देशों के बीच सीधे तौर पर आमने-सामने से संघर्ष देखने को न मिलता हो लेकिन किसी अन्य मामलों के जरिए एक दूसरे पर हमलावर रहते हैं.
अब दोनों देशों के बीच फिर से तनाव बढ़ने लगा है जिसका कारण पश्चिमी एशिया में बढ़ रही वर्चस्व की लड़ाई है. इजरायल के राजनयिकों का मानना है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के अलावा पश्चिमी एशिया के लेबनान में हिजबुल्लाह (मिलीटेंट ग्रुप) और गाजा में इस्लामिक जिहाद का एक नेटवर्क तैयार किया गया है.
द हिंदू में छपी एक खबर के मुताबिक ईरान,हिज़्बुल्लाह संगठन यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद कर रहा है. जिससे दोनों खुद को मजबूत और सुरक्षित रख सकें. लेकिन इससे इजरायल और पश्चिमी एशिया को नुकसान हो सकता है. इतना ही नहीं इजरायल के विदेश मंत्रालय के एक उप प्रवक्ता अलोन लवी का कहना है कि मध्य पूर्वी देश लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह का रूस की मदद करने पर इस इलाके के दूसरे देशों को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
इसके अलावा अलोन लवी ने बताया है कि ईरान मध्य पूर्व देशों के अलग-अलग इस्लामिक संगठनों तक आर्थिक सहायता भी पहुंचा रहा है. गाजा का इस्लामिक जिहाद संगठन, लेबनान का हिजबुल्लाह मिलीटेंट ग्रुप, सीरिया का शिया मिलिशिया ग्रुप और यमन में हूथी संगठन को ईरान मदद कर रहा है जिसके कारण पूरे मध्य पूर्व में उथल-पुथल बढ़ रही है.
इजरायली राजनयिक ने चिंता जताते हुए कहा कि मिलीटेंट ग्रुप हिजबुल्लाह के पास 1 लाख से ज्यादा रॉकेट उपलब्ध हैं जो एक बड़ा खतरा है. साथ ही इजरायली रक्षा बलों के एक ब्रिगेडियर जनरल के मुताबिक हिजबुल्लाह इजरायल के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. उसके पास काफी मात्रा में सैन्य उपकरण उपलब्ध हैं. संगठन में मौजूद सभी आतंकी काफी अच्छे तरीके से प्रशिक्षित हैं और यदि हिजबुल्लाह के साथ युद्ध होता है तो ये दोनों पक्षों के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है.
बता दें हिजबुल्ला को ईरान की तरफ से सैन्य ट्रेनिंग, हथियार और आर्थिक सहायता मिलती रही है. सीरिया भी इसकी मदद करता आया है और इन दोनों देशों से इजरायल का तनाव हमेशा बना रहता है.
बता दें कि 1982 में लेबनान पर इजरायल के हमले के बाद ईरान ने 80 के दशक में आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के गठन में मदद की थी. जिसके बाद काफी लंबे समय तक ये युद्ध चला और फिर साल 2000 में इजरायल ने लेबनान से अपने सैनिक हटा लिए लेकिन फिर साल 2006 में इजरायल ने एक महीने तक हिजबुल्लाह के साथ लड़ाई लड़ी. हिजबुल्लाह कई सालों तक इजरायल के कब्जे को हटाने के लि लड़ता रहा है.
(इजरायल की सीमा के नजदीक तैनात लेबनान सेना का जवान)
पिछले कुछ सालों में इजरायल ने ईरान की ओर से जिन इस्लामिक संगठनों तक मदद पहुंचायी जा रही है उन पर हमले भी किए हैं. सीरिया के अंदर इजरायल ने कई हवाई हमले कराए हैं. जिसका मकसद इजरायल के लिए सीरिया की सीमा पर ईरान के कब्जे वाले इलाकों को वापस लेना है. लेकिन इसके लिए इजरायल के रूस के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना भी एक चुनौती क्योंकि सीरिया के हवाई क्षेत्र पर रूस की ही सेना का नियंत्रण है.
रूस के युक्रेन के साथ युद्ध को लेकर अन्य पड़ोसी देशों के साथ विवाद भी देखने को मिला है. कुछ महीनों पहले रूस ने इजरायल को यूक्रेन की मदद किए जाने को लेकर चेतावनी भी दी थी. रूस ने इजरायल को चेताया था कि यदि इजरायल यूक्रेन को हथियार सप्लाई करता है तो उसके साथ उसके संबध खत्म हो जाएंगे. हालांकि इजरायल ने ये साफ किया था कि उसकी ओर से यूक्रेन को किसी तरीके के हथियारों को लेकर मदद नहीं पहुंचाई गई.
(इजरायली सेना के जवान)
उधर ईरान का मानना है कि सीरिया में रूस उसके लिए स्थिति खराब कर सकता है. इजरायल के विदेश मंत्रालय के एक उप प्रवक्ता अलोन लवी के मुताबिक ईरान यूक्रेन के साथ सहानुभूति भी रखता है लेकिन उसे रूस के साथ अच्छे संबंध रखने की भी जरूरत है. दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध का नुकसान ईरान को भी उठाना पड़ रहा है.
इजरायल के एक वरिष्ठ राजनयिक के मुताबिक एशिया और यूरोप में ईरान, तुर्की औऱ इजरायल तीन महाशक्तियां हैं. जिनमें ईरान एक बड़ी चुनौती है, जबकि तुर्की को एक चुनौती से एक अवसर में बदलने में हम कामयाब रहे हैं. फिलिस्तीन चुनौती नहीं हैं ईरान हमारे लिए मुश्किले बढ़ा सकता है. ईरान यदि परमाणु खतरे की सीमा तक पहुंचता है तो इजरायल का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा. इसलिए हमारे लिए ईरान के एजेंडे का विरोध करना जरूरी है और ईरान यदि खतरा बढ़ाता भी है तो सुन्नी अरब देश इससे निपटने के लिए हमारे साथ हैं.
बता दें प्राचीन काल में ईरान और इजरायल के बीच अच्छे संबंध रहे थे.लेकिन ईरान की क्रांति और राजशाही शासन का खत्म होना ही दोनों देशों के बीच दरार लेकर आया. ईरान एक मुस्लिम बहुल देश है तो इजरायल एक यहूदी देश. ऐसे में जब ईरान में इस्लामिक क्रांति आई तो इजरायल और ईरान के बीच आपसी रिश्ते खराब हो गए और मौजूदा समय में दोनों देश एक दूसरे पर हमलावर रहते हैं.
लेकिन सीधे तौर पर हमलावर ना होते हुए किसी दूसरे देश के जरिए ये हमला होता है. इसी प्रकार अब इजरायल को ईरान की ओर से इस्लामिक संगठनों तक पहुंचाई जा रही मदद से खतरा महसूस होने लगा है.