नई दिल्ली: भारत में नए कृषि कानूनों पर महीने से जारी घमासान और किसानों की आय बढ़ाने के सरकारी वादे पर यूं तो खूब सियासत हो चुकी है. मगर घरेलू राजनीति के इस पैंतरों के बीच भारत का रणनीतिक साझेदार दोस्त इजराइल खेतों से उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने की पेशकश के साथ 30 भारतीय गांवों को आदर्श कृषि-ग्राम विकसित करने को तैयार है. इतना ही नहीं इजराइल ने बरसों से पानी की किल्लत से जूझते बुंदेलखंड में ही जल-संकट की बीमारी दूर करने के लिए अपनी तकनीक और नुस्खे मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया है.


इजराइल सरकार ने मशाव कार्यक्रम के तहत अगले तीन सालों में भारत के आठ सूबों में 75 गांवों को आदर्श कृषि ग्राम में बदलने के लिए एक समझौता किया है. इस कड़ी में देश विभिन्न इलाकों में गांवों को खेती के लिहाज से अधिक उत्पादक और आत्मनिर्भर बनाने का मॉडल तैयार किया जाएगा जिसे अन्य स्थानों पर भी कॉपी करना मुमकिन होगा.


भारत में मशाव कार्यक्रम के प्रमुख और इजराइली राजनयिक डान अल्लूफ ने एक प्रेस कांफ्रेंस ने कहा कि दोनों देशो के बीच मजबूत कृषि साझेदारी को बढ़ाते हुए अब इजराइल ने विलेज ऑफ एक्सिलेंस बनाने का फैसला किया है. इसके तहत 2021 से 2023 के बीच भारत के कई हिस्सों में फसल उत्पादन के लिहाज से आदर्श गांव विकसित किए जाएंगे. इस कड़ी में 30 गांव हरियाणा में तो पांच गांव उत्तरप्रेदश में होंगे.


डान अल्लूफ के अनुसार इन मॉडल गांवों में से प्रत्येक में कृषि ढांचा मजबूत करने, क्षमता विस्तार करने और बाजारों तक सीधे पहुंचाने पर जोर दिया जाएगा. यानी अधिक कृषि उत्पादन, मार्केट लिंकेज से लेकर प्रसंस्करण के लिए व्यवस्था होगी जिससे किसानों की आय बढ़ेगी. इनके जरिए एक पारंपरिक खेत को एक संक्रिय कृषि क्षेत्र के तौर पर बनाया जाएगा जहां विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल कर अधिक उत्पादन संभव होगा. साथ ही उससे जुड़ी पूरी वैल्यू चेन भी तैयार होगी. 


महत्वपूर्ण है कि इजराइल बीते करीब डेढ़ दशक से भारत में कृषि क्षेत्र के सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बना रहा है. इनमें खास तौर पर सब्जियों और फलों के उत्पादन को बेहतर बनाने और इजराइल के अनुभवों को साझा करने पर जोर है. बीते सात सालों से भारत में मशाव का संचालन देख रहे अल्लूफ बताते हैं कि भारत में काम कर रहे 30 इजराइली सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में 2018 से 2020 के बीच ही 3.60 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है.


हालांकि भारत के साथ इजराइली कृषि सहयोग केवल खेती का उत्पादन बढ़ाने की तकनीकों तक ही सीमित नहीं है. बल्कि इजराइल काफी लंबे समय से पानी के बेहतर इस्तेमाल की तकनीकों को मामले में भी भारत का सहयोगी रहा है. इजराइली ड्रिप सिंचाई तकनीक इन दिनों देश के कोने-कोने में इस्तेमाल की जाती है. ऐसे में इजराइल ने अब भारत में जल-संकट के पुराने बीमार इलाके बुंदेलखंड के लिए भी मदद का हाथ बढ़ाया है.


भारत में अपना कार्यकाल पूरा कर वापस इजराइल लौटने की तैयारी कर रहे अल्लूफ ने मीडिया को बताया कि इजराइली तकनीक का इस्तेमाल बुंदेलखंड इलाके में पानी को सहेजने और बेहतर उपयोग के लिए किया जाएगा. अल्लूफ कहते हैं कि जल उपयोग को लेकर इजराइल काफी कुछ भारत के साथ साझा कर सकता है क्योंकि इजराइली बसाहटें व्यापक तौर पर पानी का पुनर्प्रयोग करती हैं और बहुत कम प्राकृतिक स्रोत से पानी निकालने पर निर्भर हैं.


इजराइल की मदद से चलाई जाने वाली इस परियोजना में बुंदेलखंड में जल संरक्षण, पानी के बेहतर इस्तेमाल के तौर-तरीके और उन्नत तौर-तरीकों से खेती में पानी इस्तेमाल के उपाय किए जाने हैं. अल्लूफ के अनुसार बुंदेलखंड में होने वाली बारिश के संचय और संरक्षण के साथ साथ बेहतर इस्तेमाल पर जोर होगा. साथ ही इजराइल में पानी को पहुंचाने और इस्तेमाल के लिए काम आने वाली हाइड्रोलिक तकनीक बुंदेलखंड के लिए भी एक अच्छा समाधान हो सकता है. हम इसका भी वहां उपयोग करेंगे. साथ ही ड्रिप सिंचाई और स्मार्ट सिंचाई का भी इस्तेमाल होगा.  इस कड़ी में जल्द ही एक इजराइली कंपनी बुंदेलखंड इलाके में फीजेबिलिटी स्टडी के साथ ही एक पायलट मॉडल तैयारी करेगी.


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