नई दिल्ली: एलओसी पर आतंकियों के लॉन्च-पैड्स को तबाह करने के इरादे से भारतीय सेना ने इजरायल से खास तरह की स्पाइक मिसाइल खरीदी हैं. आतंकियों के खात्मे के दौरान भारतीय सेना को सबूत के तौर पर ये मिसाइल लाइव फीड भी दे सकती हैं. इस तरह की कुल 210 एटीजीएम मिसाइल भारत ने इमरजेंसी ऑपरेशन्स की जरूरत के तहत करीब 280 करोड़ रूपये में खरीदा है.
गुरवार को थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी में मध्य प्रदेश के महू स्थित इंफेंट्री स्कूल में इस तरह की दो स्पाइक मिसाइलों का टेस्ट किया गया. दोनों मिसाइलों ने अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाया और उसकी लाइव फीड भी सेना प्रमुख ने देखी. इस दौरान भारतीय सेना की इंफेंट्री के सभी बड़े कमांडर्स भी मौजूद थे क्योंकि इस मिसाइल को इंफेंट्री कमांडर्स कांफ्रेंस के दौरान खास तौर से परीक्षण किया गया. इन 210 मिसाइलों के साथ इजरायल ने भारत को 12 लॉन्चर भी दिए हैं.
जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना ने इन स्पाइक-एलआर (लांग रेंज) एंटी टैंक मिसाइलों को एलओसी पर तैनात करने के इरादे से खरीदा है. ये मिसाइल इजरायल की राफिल कंपनी ने तैयार की हैं. अब तक 30 से भी ज्यादा देशों की सेनाएं इस स्पाइक एटीजीएम (एंटी टैंक गाईडड मिसाइल) का इस्तेमाल कर रही हैं.
इन स्पाइक मिसाइलों को एलओसी पर तैनात किया जाएगा
भारतीय सेना के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, इन स्पाइक मिसाइलों को एलओसी पर तैनात किया जाएगा. हालांकि, ये एंटी टैंक मिसाइल हैं लेकिन अब क्योंकि टैंक पर इस्तेमाल कम होता है (क्योंकि टैंक पर हमला युद्ध की स्थिति में ही होता है) इसलिए इन एटीजीएम मिसाइलों को एलओसी पर पाकिस्तानी सेना की शह पर चलने वाले आतंकी लांच पैड्स के खिलाफ इस्तेमाल किया जायेगा. अगर पाकिस्तानी सेना की कोई चौकी युद्धविराम का उल्लंघन करती है तो ऐसी परिस्थिति में भी इन इजरायली मिसाइलों को दागा जायेगा.
चार किलोमीटर की रेंज है
भारत ने जो स्पाइक मिसाइलें इजरायल से खरीदी हैं उनकी रेंज करीब चार किलोमीटर है और ये चौथी पीढ़ी की मिसाइल हैं यानि ये फायर एंड फोर्गेट के सिद्धांत पर काम करती है. जरूरत पड़ने पर इसे मिड-फ्लाईट भी डाइवर्ट किया जा सकता है. स्पाइक बनाने वाली कंपनी राफिल ने दावा किया है कि अब तक दुनियाभर में 5000 से भी ज्यादा बार इन मिसाइलों का इस्तेमाल हो चुका है और इनका स्ट्राइक रेट करीब 95 प्रतिशत है. इसे एक ट्राईपोड या फिर कंधे पर रखकर भी फायर किया जा सकता है.
व्हाट्सएप जासूसी पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सरकार को घेरा
लेकिन इस स्पाइक मिसाइल में सबसे खास है इसमें लगे दो कैमरे. ये कैमरे इस मिसाइल के वॉर-हेड पर लग सकते हैं. एक है सीसीडी यानि 'चार्ज कपल सीकर डिवाइस' जो दिन के समय काम करता है और दूसरा है आईआईआर (इमेजिंग इंफ्रारेड सेंसर) कैमरा जो रात में भी टारगेट को तबाह करने का वीडियो दे सकता है यानि अगर दुश्मन के बंकर या फिर आतंकियों के ठिकाने को निशाना बनाना है तो ये उसका सबूत भी दे सकता है.
फीस वृद्धि के खिलाफ JNU के छात्रों का प्रदर्शन जारी, कल HRD मिनिस्ट्री के सामने करेंगे प्रदर्शन
स्पाइक मिसाइल की इन खूबियों को देखते हुए ही रक्षा मंत्रालय ने साल 2016 में इजरायल के साथ इस तरह की 8000 मिसाइलों का सौदा करने का मन बनाया था. इस सौदे के तहत डिफेंस पीएसयू, बीडीएल (भारत डायनेमिक्स लिमिटेड) ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलोजी (टीओटी) के तहत इन मिसाइलों को इजरायल की मदद से भारत में बनाना था. लेकिन बाद में जब डीआरडीओ ने दावा किया कि वो इस तरह की एंटी टैंक गाईडेड मिसाइल बना सकता है तो भारत सरकार ने वो सौदा रद्द कर दिया. लेकिन क्योंकि भारतीय सेना को इन मिसाइलों की सख्त जरूरत थी इसलिए फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के तहत इस तरह की 20 मिसाइलों को 280 करोड़ रूपये में सीधे इजरायल से खरीद लिया.
एक बार फिर ऐतिहासिक पल का गवाह बना शिवाजी पार्क, शिवसेना का यहां से है भावनात्मक नाता