आ गई चांद पर भारतीय एस्ट्रोनॉट के कदम रखने की तारीख, इसरो चीफ ने खुद किया खुलासा
Indian Space Program: इस रोडमैप के एक हिस्से के रूप में, भारत की योजना 2035 तक खुद का भारतीय स्पेस स्टेशन स्थापित करने की है.
S Somnath On Space Program: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ के मुताबिक, भारत ने एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम पर अपनी नजरें टिकाई हैं, जिसका लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यात्री को उतारना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इसरो के लिए रिकॉर्ड 31,000 करोड़ रुपये की फंडिंग को मंजूरी दी है और अगले 15 सालों तक देश के अंतरिक्ष प्रयासों के लिए एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण पेश किया है.
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कहा, "मेरा मानना है कि यह साल हमारे लिए बहुत शानदार रहा है, क्योंकि हमने कई मिशन पूरे किए हैं और प्रधानमंत्री के विजन के आधार पर हमने अपने लिए जो भविष्य का रोडमैप तय किया है, वह भी हमारे लिए बहुत शानदार रहा है. अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में पहली बार हमने अगले 25 सालों के लिए एक विजन की घोषणा की है."
2040 में चांद पर होंगे भारतीय अंतरिक्ष यात्री
इस रोडमैप के एक हिस्से के रूप में, भारत की योजना 2035 तक खुद का भारतीय स्पेस स्टेशन स्थापित करने की है. इसकी एक अन्य योजना 2028 में अंतरिक्ष स्टेशन मॉड्यूल का प्रक्षेपण होगी, जो 2035 तक इसके पूर्ण परिचालन की स्थापना के लिए आधार तैयार करेगी. इसके साथ ही 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री की नियोजित लैंडिंग है.
डॉ. सोमनाथ ने कहा, "जब हम अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएंगे, तब चांद पर भारतीय झंडा लहरा रहा होगा और हमारा व्यक्ति वहां जाएगा, उसे वापस रखेगा और सुरक्षित वापस आएगा. हमारा लक्ष्य 2040 है." इससे पहले, कई शुरुआती मिशन चलाए जाएंगे, जिनमें चंद्रयान-4, लूनर सैंपल वापसी मिशन भी शामिल है, जिसे पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.
अंतरिक्ष मिशन पर खर्च किए गए पैसों का मिला अच्छा रिटर्न
मानव अंतरिक्ष उड़ान और चंद्र मिशनों का समर्थन करने में सक्षम एक पुन: प्रयोज्य, हरित और मॉड्यूलर रॉकेट के विकास को मंजूरी दे दी गई है. यह भविष्य के लिए तैयार प्रक्षेपण यान भारत की विस्तारित पेलोड आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है.
250 से ज्यादा अंतरिक्ष स्टार्टअप नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं और भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा दे रहे हैं. इनमें से अग्निकुल कॉसमॉस ने लिक्विड-प्रोपेल्ड सब-ऑर्बिटल रॉकेट लॉन्च करके सुर्खियां बटोरीं. अंतरिक्ष पर खर्च किए गए हर एक रुपए पर भारत को कथित तौर पर 2.52 रुपए का रिटर्न मिला है. डॉ. सोमनाथ ने कहा, "शुक्र ग्रह के लिए अन्वेषण मिशन को भी मंजूरी दे दी गई है."
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