(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
देशवासियों को ISRO का दिवाली तोहफा: बाहुबली रॉकेट LVM3 से फिर रचा इतिहास, जानें क्यों है इतना खास
ISRO: इसरो का रॉकेट LVM3 वनवेब के 36 सैटेलाइट्स को लेकर लॉन्च हुआ. इस लॉन्च का दूसरा सेट अगले साल शुरुआत ने प्रोजेक्ट किया जाएगा.
ISRO: दीवाली की रोशनी इससे खूबसूरत क्या होगी किसी भी भारतीय के लिए? जैसे ही इसरो का लॉन्च व्हीकल मार्क 3 एम2 तेज़ रोशनी के साथ धुआं उड़ता हुआ आकाश की ओर बढ़ा भारत ने ग्लोबल कमर्शियल लॉन्च मार्केट में नया इतिहास रच दिया. इस लॉन्च के साथ ही इसरो ने सभी भारतीयों को मानो दिवाली का सबसे बेहतरीन तोहफा दिया है. मिशन LVM3 M2/OneWeb India1 पूरी तरह सफल रहा.
वनवेब के 36 रॉकेट प्रक्षेपण के इस मिशन के लिए इसरो ने अपने सबसे भारी रॉकेट 'एलवीएम-3' यानी लॉन्च व्हीकल मार्क 3 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से आधी रात 12 बजकर 7 मिनट पर प्रक्षेपित किया. बता दें कि एलवीएम-3 को पहले जीएसएलवी मार्क रॉकेट के नाम से भी जाना जाता था. इस मिशन का 24 घंटे का काउंटडाउन रखा गया था. मिशन में ब्रिटिश स्टार्टअप वनवेब के 36 उपग्रहों का लॉन्च किया गया. बता दें कि वनवेब एक प्राइवेट सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी है. भारतीय कंपनी भारती एंटरप्राइजेज वनवेब में एक प्रमुख इन्वेस्टर और शेयर होल्डर हैं. इस लॉन्च के साथ ही इसरो ने ग्लोबल कमर्शियल लॉन्च सर्विस मार्केट में अपनी एंट्री दर्ज करा ली है.
इस लॉन्च का दूसरा सेट...
स्पेस डिपार्टमेंट के अंतर्गत शुरू की गई सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेस, NSIL (New Space India Ltd) ने लंदन स्थित वनवेब के साथ दो LVM 3 के जरिए LEO (Low Earth Orbit) सेटेलाइट्स के लॉन्च सर्विस का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है. हाल ही में शुरू हुए स्पेस डिपार्टमेंट के अंर्तगत इसरो के कमर्शियल लेग की तरह काम करने वाले NSIL के साथ यह पहला कमर्शियल एलवीएम3 लॉन्च था. इस लॉन्च का दूसरा सेट 36 सेटेलाइट्स को अगले साल शुरुआत ने प्रक्षेपित किया जाएगा.
यह मिशन एनएसआईएल और इसरो दोनों के लिए ही काफी अहम माना जा रहा था क्योंकि यह पहली बार था जब लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (GSLV मार्क 3) के जरिए कोई कमर्शियल लांच किया गया. इससे पहले इसरो कमर्शियल लॉन्च के लिए पीएसएलवी का इस्तेमाल करता था. वहीं लॉन्च व्हीकल मार्क 3 इसरो का सबसे भारी भरकम 640 तो वजनी रॉकेट है जो अपने साथ करीब 4 टन वजनी पेलोड जियो सिंक्रोनस ऑर्बिट में और 8 तो वजनी पेलोड लो अर्थ ऑर्बिट में ले जाने में सक्षम है.
इसरो का बाहुबली क्यों कहा जाता है?
यह तीन स्टेज का रॉकेट है जिसमें दो सॉलिड मोटर स्टेप्स ऑन और एक लिक्विड प्रोपोलेंट कर स्टेज हैं और बीच में क्रायोजेनिक स्टेज है. इसके इसी भारी भरकम रूप के कारण इसे इसरो का बाहुबली भी कहा जाता है. जाहिर है अब तक जहां कमर्शियल लॉन्च को पीएसएलवी के जरिए पूरा किया जाता था वहीं इस बाहुबली के कमर्शियल मार्केट में उतरने के साथ ही यह इसरो और NSIL के लिए नए प्लेटफार्म खोलेगा. अब तो इस प्रक्षेपण की सफलता के साथ ही इसरो ने दुनिया भर में अपना लोहा मनवा लिया कि किसी भी भारी मिशन के लिए भी अब इसरो अपने एलवीएम3 के साथ पूरी तरह तैयार है. साफ है इस ऐतिहासिक पल के साथ इसरो के लिए नए ऑपर्च्युनिटी के दरवाजे भी खोलेगा जो सीधे तौर पर रेवेन्यू के लिए कारगर साबित होगा.
दरअसल कोई भी देश अपने बड़े से बड़े लॉन्च के लिए भारत की ओर इसलिए देखता है क्योंकि भारत ने अब तक 300 से ज्यादा कमर्शियल लॉन्च कर दुनिया को यह बता दिया है कि काम खर्च में भी कैसे स्पेस में फतह हासिल की जा सकती है. भारत ने तो कम बजट में मंगल तक पहुंच कर दिखा दिया था. यह दुनिया भर का भरोसा ही है जो इसरो पर दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है.