ISRO जासूसी मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- CBI ने दर्ज कर ली FIR, अब अलग से किसी आदेश की जरूरत नहीं
79 वर्षीय नारायणन केरल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिन्होंने उन पर 1994 में पाकिस्तान का जासूस होने का आरोप लगाया था.
नई दिल्ली: इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सीबीआई ने रिपोर्ट में बताया है कि उसने एफआईआर दर्ज कर ली है. अब अलग से किसी आदेश की जरूरत नहीं है. कानून के मुताबिक आगे की कार्रवाई करे.
इससे पहले 15 अप्रैल को कोर्ट ने सीबीआई से 3 महीने में इस मसले पर जांच रिपोर्ट देने को कहा था. स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने में लगे नंबी नारायणन को 1994 में केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन पर तकनीक विदेशियों को बेचने का आरोप लगाया गया. बाद में यह पूरा मामला फर्जी निकला था. कोर्ट ने इससे पहले वैज्ञानिक को 50 लाख रुपए के मुआवजे का आदेश दिया था. साथ ही उन्हें फंसाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की भी बात कही थी.
इसरो जासूस मामला 1994 में तब सामने आया था जब नारायणन को इसरो के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी, मालदीव की 2 महिलाओं और एक व्यापारी के साथ जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई ने पाया था कि नारायणन की गैर-कानूनी गिरफ्तारी के लिए केरल में तत्कालीन शीर्ष पुलिस अधिकारी जिम्मेदार थे. इसके बाद पैनल ने उन परिस्थितियों की जांच की, जिनमें नारायणन की गिरफ्तारी की गई थी. उन पर आरोप लगाया गया था कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों को विदेशों के साथ साझा किया है. नारायणन ने कहा था कि केरल पुलिस ने इस मामले को गढ़ा और जिस तकनीक का इस्तेमाल करके चोरी करने का आरोप लगाया गया था, उस समय वह तकनीक मौजूद ही नहीं थी.
ये भी पढ़ें-
Coronavirus Cases: थमती जा रही कोरोना की रफ्तार, लगातार चौथे दिन 40 हजार से कम आए केस