बेंगलुरु: चंद्रयान 2 चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग में कहां कमी रह गई थी इसका पता चल गया है. पहली बार यह जानकारी विस्तार से उस सवाल के जवाब में आई जो संसद में सरकार से चंद्रयान 2 की सफलता को लेकर पूछा गया था. राज्यसभा में पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने चंद्रयान 2 की लैंडिंग और इसकी सफलता, असफलता से जुड़े तमाम प्रश्नों का जवाब दिया.

क्या हुआ रोवर विक्रम के साथ


विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी जो कि लैंडिंग की तय जगह से करीबन 500 मीटर की दूरी पर थी. इस हार्ड लैंडिंग की जो वजह निकल कर सामने आई उसके मुताबिक जिस अनुपात में चंद्रयान 2 की गति धीरे की जानी थी वह उस अनुपात में नहीं हो पाई.


आखिर चूक हुई कहां


पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सदन को बताया की चंद्रयान 2 चंद्रमा की सतह के 30 किलोमीटर ऊपर तक एकदम सही स्थिति में काम कर रहा था. 30 किलोमीटर से लेकर 7.4 किलोमीटर तक का अगला चरण भी बिल्कुल सामान्य तौर पर काम करता रहा. लेकिन दिक्कत इसके बाद शुरू हुई क्योंकि इसके बाद चंद्रयान की गति को 1683 मीटर प्रति सेकंड से घटाकर 146 मीटर प्रति सेकंड किया जाना था. लेकिन इस चरण में गति कम करने के लिए जो ब्रेक लगाए गए वह सही नहीं लगे और गति निर्धारित गति से भी ज्यादा कम हो गई. चंद्रयान 2 की गति ज्यादा कम हो जाने की वजह से चंद्रयान अपनी दिशा से भटक गया और अपनी निर्धारित लैंडिंग की जगह से 500 मीटर दूर हार्ड लैंडिंग हुआ.


ऑर्बिटर अभी भी पूरी तरह सक्रिय


इसके साथ ही सरकार की तरफ से यह जानकारी भी मुहैया कराई गई की ऑर्बिटल जो कि चंद्रमा की कक्षा में मौजूद है अभी भी पूरी तरह से काम कर रहा है और जिस कुशलता के साथ ऑर्बिटर को लॉन्च किया गया और वह चंद्रमा के करीब पहुंचा उससे अब उसकी कार्य क्षमता 7 साल तक के लिए बढ़ गई है.


शुरू हो चुकी है चंद्रयान 3 की तैयारी


गौरतलब है कि चंद्रयान 2 को 22 जुलाई 2019 को प्रक्षेपित किया गया था और 7 सितंबर 2019 को इसकी चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होनी थी. लेकिन आखिरी कुछ मिनटों में तकनीकी गड़बड़ी के चलते वह सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो सकी. लेकिन इसरो अब इससे आगे बढ़ चुका है और यहां चंद्रयान 3 की तैयारी शुरू हो चुकी है.


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