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केरल में बाढ़ की आसमान से निगरानी कर रहा है ISRO, इस तरह बना मददगार
अंतरिक्ष से धरती का निरीक्षण कर रहे ये उपग्रह ग्राउंड स्टेशन पर रियल टाइम तस्वीरें भेजते रहे हैं. इससे बाढ़ के आकार-प्रकार और उसमें फंसे लोगों की सटीक जानकारी मिल पा रही है
![केरल में बाढ़ की आसमान से निगरानी कर रहा है ISRO, इस तरह बना मददगार ‘ISRO’ is playing tremendous role in Kerala flood relief केरल में बाढ़ की आसमान से निगरानी कर रहा है ISRO, इस तरह बना मददगार](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/08/18130519/Kerala-flood-News.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
केरल: केरल को वैसे तो "गॉड्स ओन कंट्री" यानी भगवान का घर कहा जाता है लेकिन पिछले कई दिनों से भारी बारिश के चलते आई बाढ़ और भूस्खलन ने यहां हाहाकार मचाया हुआ है. मौसम विभाग के अनुसार मानसून में अब तक यहां 42 फीसदी अधिक बारिश हुई है. केरल में बाढ़ के कारण कईयों की जिंदगियां अस्त व्यस्त हो गई हैं. 400 से अधिक मौतें हुई हैं और हजारों घर तबाह हो गए हैं. इस भयंकर त्रासदी से निपटने के लिए हर कोई एक हो गया. थल सेना, नौसेना, वायु सेना, कोस्ट गार्ड, एनडीआरएफ समेत राज्य की सभी टीमें यहां तक कि राज्य के मछुआरों ने भी लोगों को बचाने का जिम्मा उठाया है. लेकिन उस खिलाड़ी की बात भी होनी जरूरी है जिसने ना दिखते हुए भी बाढ़ के हालात में सबसे बड़ा काम किया. बहरहाल, मौजूदा हालात में सेना मजबूती से निपट रही है. हर रोज विभिन्न तरीकों से लोगों को बाढ़ वाले क्षेत्रों से निकालकर सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है. लेकिन इन सब के साथ ही हमारी स्पेस एजेंसी इसरो की बात भी होना आवश्यक है. इसरो के पांच उपग्रह अंतरिक्ष से लगातार निगरानी रखे हुए हैं.
अंतरिक्ष से धरती का निरीक्षण कर रहे ये उपग्रह ग्राउंड स्टेशन पर रियल टाइम तस्वीरें भेजते रहे हैं. इससे बाढ़ के आकार-प्रकार और उसमें फंसे लोगों की सटीक जानकारी मिल पा रही है.
इसरो के एक टॉप सोर्स ने एबीपी न्यूज़ से फोन पर बातचीत कर ये जानकारी दी कि इन उपग्रहों में Oceansat-2, Resourcesat-2, Cartosat-2, Cartosat-2A, INSAT 3DR शामिल है. ये सैटेलाइट रियल टाइम तस्वीरें भेज कर बाढ़ से जुड़ा हुआ डेटा एकत्रित कर भेज रहे थे.
ओशनसैट-2:
बता दें कि ओशनसैट 2 को 23 सितंबर 2009 को प्रक्षेपित किया गया था. इस उपग्रह की समय सीमा पांच वर्ष की है थी लेकिन बावजूद उसके यह सैटेलाइट यही काम कर रहा है और मौसम की जानकारी के अलावा यह मछुआरों की भी मदद करता है. चक्रवात, हवा और दबाव के क्षेत्रों की जानकारी देता है. पानी के अंदर मौजूद ऑब्जेक्ट्स को भी यह सैटेलाइट आसानी से पहचान सकता है. इसके अलावा पानी में आए बदलाव की जानकारी भी देता रहा. पानी के रंग और पानी के अंदर मौजूद किसी भी तरह की वस्तु या बदलाव को भी मापता रहा.
रिसोर्ससैट-2:
रिसोर्ससैट-2 को 20 अप्रैल 2011 को प्रक्षेपित किया गया था. यह सैटेलाइट रिसोर्ससैट-1 का अपडेटेड उपग्रह था. इसे 'आई इन द स्काई' यानी आसमानी आंख भी कहा जाता है क्योंकि यह इमेजिंग उपग्रह है जो कि अंतरिक्ष से धरती की तस्वीरें ले सकता है.
कार्टोसैट -2:
इस उपग्रह को इसी वर्ष 12 जनवरी को पीएसएलवी सी 40 के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. यह एक रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है. यह भी तस्वीरें रिकॉर्ड कर भेजता है. इससे मिली जानकारी का उपयोग कई क्षेत्रों में किया गया.
कार्टोसैट-2A:
यह उपग्रह रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट श्रंखला का ही है. यह धरती की सटीक इमेज उपलब्ध कराने में सक्षम है. यह उपग्रह हाई रिजॉल्यूशन की तस्वीरें देता रहा जिससे मदद हो सकी.
इनसैट 3DR:
यह उपग्रह भारत का आधुनिक मौसम विज्ञान संबंधी उपग्रह है जिसमें इमेजिंग सिस्टम और वायु-मंडल-संबंधी घोषक है. यह उपग्रह मौसम से संबंधित और वायुमंडल में हो रहे बदलाव को भांप कर जानकारी मुहैया करा रहा था. इसे 8 सितंबर 2016 को प्रक्षेपित किया गया. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह रात में भी सटीक तस्वीरें ले सकता है.
ऐसे मिलती है जानकारी
ये सारे उपग्रह हाई रिजॉल्यूशन की तस्वीरें लेने में सक्षम है और समय रहते हर जानकारी देते रहे जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन आसान रहा साथ ही किस जगह कितना पानी और कैसी स्थिति है इसकी जानकारी भी लगातार इसरो के इन सेटलाइट से मिलती रही. अंतरिक्ष से यह उपग्रह जानकारी इकट्ठा कर डेटा हैदराबाद के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के डिवीजन सपोर्ट सेंटर को भेजते हैं. जहां से यह जानकारी इसरो के डिजास्टर मैनेजमेंट सपोर्ट प्रोग्राम के तहत राज्य और केंद्र को भेजी जाती है. कुछ इस तरह आसमानी सीक्रेट हीरो ने बाढ़ के दौरान मदद की.
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