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IN DEPTH: GSAT 7A सैटेलाइट लॉन्च, अंतरिक्ष में नौसेना के बाद अब वायुसेना के लिए ‘Secret Eye’
भारत भी लगातार अपने मिलिट्री ऑपरेशन के लिए अब सैटेलाइट बनाने में कामयाब हो रहा है. वजह है इसरो द्वारा प्रक्षेपित किये जा रहे सैटेलाइट.
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श्रीहरिकोटा: इसरो ने हाल ही में अपने सबसे भारी उपग्रह GSAT 11 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करने के बाद इसरो ने आज अपनी एक और ऊंची उड़ान भरी. इसरो ने आज शाम 4:10 बजे जीएसएलवी F11 राकेट के ज़रिये जी-सैट 7A उपग्रह को आँध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा के शार अंतरिक्ष केंद्र के प्रक्षेपित किया. मिशन की सफलता के साथ ही इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली.
देश के पैंतीसवें संचार उपग्रह जीसैट-7A को लेकर जैसी ही जीएसएलवी F11 ने उड़ान भरी, उसी के साथ इसरो ने यह एक और उपलब्धि हासिल कर ली. बता दें कि जीसैट-7A एक कमुनिकशन सैटेलाइट यानी संचार उपग्रह है जो कि वायुसेना के लिए काफी मददगार साबित होगा. ये सेटेलाइट इसलिए काफी अहम है क्योंकि जीसैट-7A सैटेलाइट से ग्राउंड रडार स्टेशन, एयरबेस और AWACS एयरक्राफ्ट को इंटरलिंक करने में काफी मदद मिलेगी. इतना ही नहीं एयरफोर्स के ग्लोबल ऑपरेशन को साथ ही ड्रोन ऑपरेशन, इसके आलावा UAV यानी मानवरहित एरियल व्हीकल की ताकत भी इस सैटेलाइट से बढ़ेगी.
Update #11#GSLVF11 lifts-off carrying #GSAT7A onboard from Sriharikota.
Updates to follow.#ISROMissions pic.twitter.com/cZobUTtEO4 — ISRO (@isro) December 19, 2018
नेवी के लिए भी इसरो कर चुका है सैटेलाइट लांच
इसरो ने इससे पहले भारतीय नौसेना के लिए रुक्मिणी लांच किया था. जी- सैट रुक्मिणी इसरो का पहला मिलिट्री कम्युनिकेशन सैटेलाइट था, जिससे नेवी को काफी सहायता मिल रही है. इसे सितम्बर 29 2013 को इसरो ने प्रक्षेपित किया था. जिससे नौसेना समंदर में हो रही हर तरह की गतिविधि पर नज़र रख पा रही है. डोकलाम स्टैंड ऑफ के वक़्त भी चीन के युद्धपोत और सबमरीन (पनडुब्बी) पर नज़र रखने में रुक्मिणी सैटेलाइट काफी कारगर साबित हुआ था.
दुनिया में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश ही अभी तक अपनी सेना के लिए सैटेलाइट लॉन्च कर चुके हैं. भारत भी लगातार अपने मिलिट्री ऑपरेशन के लिए अब सैटेलाइट बनाने में कामयाब हो रहा है. वजह है इसरो द्वारा प्रक्षेपित किये जा रहे सैटेलाइट.
इसरो के अनुसार, लॉन्च होने के केवल 19 मिनट बाद ही, जीएसएलवी राकेट 2,250 किग्रा वाले जीसैट-7A को भूस्थैतिक स्थानांतरित कक्षा (GTO) में स्थापित कर लेगा. आपको बता दें कि जीसैट-7A का निर्माण खुद ISRO द्वारा किया गया है, ये सैटेलाइट आठ साल तक अपनी सेवा मुहैया कराएगा. अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत एक के बाद एक झंडे गाढ़ रहा है. आज एक बार फिर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने इतिहास रच दिया है. नौसेना के लिए रुक्मिणी के बाद अब वायु सेना को यह जी-सैट 7A सैटेलाइट बहुत ही मददगार साबित होगा.
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