कुछ मिशन असफल रहे, लेकिन कभी पस्त नहीं हुए ISRO के हौसले, बधाओं के बाद हर बार मिली सफलता
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. इसरो की अनेक ऐसी सफलताएं हैं जिसने देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है. ऐसे में आज जब भारत के चंद्रयान 2 का संपर्क इसरो से टूट गया है तो यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि कब-कब भारत का मिशन असफल रहा है और कब भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है.
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने सफर की शुरुआत शून्य से शुरू की और आज इसकी अनेक सफलताओं ने इसरो को दुनिया के प्रतिष्ठित अंतरिक्ष संगठन के तौर पर पहचान दी है. 15 अगस्त 1969 से 7 सितंबर 2019 तक इसरो ने कई ऐसे मुकाम हासिल किए हैं जो इतिहास में एक मिसाल है. कहते हैं कि सफलता और असफलता जिंदगी का हिस्सा है और इससे कभी घबराना नहीं चाहिए और सफल वही होता है जो कभी न कभी असफलता का स्वाद चखता है.
इसरों के लिए भी सफलताओं के साथ कुछ अवसर ऐसे आए जब उसे असफलता का सामना करना पड़ा. भारत के चंद्रयान 2 का इसरो से संपर्क टूटना भी वैज्ञानिकों के लिए निराशाजनक रहा है. हालांकि, इसरो ने यह बार-बार साबित किया है कि बाधाओं के बाद उसने और लंबी उड़ान भरी है. ऐसे में यहां जानिए इसरो के उन मिशन के बारे में जब वैज्ञानिकों ने दुनिया में भारत का डंका बजाया और कब-कब इसरो को असफलता मिली.
इसरो के ये स्पेसक्राफ्ट मिशन असफल रहे-
- रोहिनी टेक्नोलॉजी पेलोड एक 35 किलोग्राम उपग्रह था. बता दें कि इस उपग्रह को 10 अगस्त, 1979 को लॉन्च किया गया था. इसे इसरो के वैज्ञानिक कक्षा में नहीं रख पाए थे. इसके बाद साल 1982 में भी हमें एक असफलता हाथ लगी. तब इनसैट-1A का कनेक्शन टूट गया था. साल 1987 में एएसएलवी की डेवलपमेंट फ्लाइट में उपग्रह SROSS-1 अपनी कक्षा तक नहीं पहुंच सका था.
- साल 1988 में लॉन्च किए गए इनसैट-1C मिशन को असफल नहीं कहा जा सकता. इसका कारण यह था कि इसके बैंड ट्रांसपोंडर ने काम करना बंद कर दिया था जबकि मौसम संबंधी सूचना और डेटा कलेक्ट करने वाले यंत्र अच्छे से काम कर रहे थे.
- IRS-1E देश की पहली पीएसएलवी की डेवलपमेंट फ्लाइट थी. वैज्ञानिकों की पूरी कोशिश के बावजूद इसे कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका.
- इनसैट-2डी को जून के महीने में साल 1997 में लॉन्च किया गया था. लेकिन इसने 4 अक्टूबर के बाद से काम करना बंद कर दिया था. बता दें कि इनसैट-2डी, इनसैट-2सी के ही समान था.
- GSAT–4 भारतीय GSAT श्रंखला का चौथा उपग्रह था. बता दें कि यह एक प्रयोगात्मक उपग्रह था जिसे कक्षा में स्थापित नहीं किया गया. इसका प्रक्षेपण 2010 में किया गया था. IRNSS–1H नाम का यह मिशन साल 2017 में किया जाना था, लेकिन अंतिम समय में यह मिशन फेल हो गया था.
ये लॉन्चर मिशन रहे असफल-
- बता दें कि कोई भी लॉन्चर मिशन फेल होता है तो उससे संबंधित उपग्रह मिशन खुद ही फेल हो जाते हैं. रोहिनी टेक्नोलॉजी पेलोड (आरटीपी) ले जाने के लिए SLV–3 की यह पहली उड़ान थी. देश का यह लॉन्चर मिशन फेल हो गया था. इसी के बाद महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था इस मिशन ने उन्हें सिखाया कि जब आप फेल होते हैं तो इसकी जिम्मेदारी टीम लीडर लेता है लेकिन जब आप सफल होते हैं तो पूरी टीम को इसका श्रेय दिया जाता है.
- भारत का ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च वाहन (ASLV)–D1 मिशन फेल हो गया था. यह 24 मार्च, 1987 को वैज्ञानिक उपकरणों के साथ-साथ SROSS-1 सैटेलाइट ले जाने वाली पहली डेवलपमेंटल फ्लाइट थी, जो असफल रही.
- GSLV-F2 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SHAR), श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था. बता दें कि GSLV-F2 लॉन्च व्हीकल मिशन पूरा नहीं कर सका था इसी कारण इनसैट – 4C का मिशन असफल रहा था.
- GSLV-D3, जीओसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) की छठी और डेवेलपमेंटल फ्लाइट की तीसरी उड़ान थी. इस उड़ान में, GSLV को 2220 किलो का एक प्रयोगात्मक उन्नत प्रौद्योगिकी संचार उपग्रह GSAT-4 लांच करना था लेकिन यह मिशन असफल हो गया था.
- PSLV–C39 की 41वीं उड़ान 31 अगस्त, 2017 की शाम सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आयोजित की गई. इस मिशन में तय योजना के अनुसार हीट शील्ड सेपरेशन सफल न हो सका और इसी के चलते मिशन असफल हो गया.
भारतीय वैज्ञानिकों ने इन अभियानों के जरिए अपनी काबिलियत का मनवाया लोहा-
- आपको बता दें कि इसरो ने अनेक ऐसे कारनामे किए हैं जो देश की प्रतिभा का लोहा दुनिया में मनवाती है. इसरो ने 1990 में पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) को विकसित किया. इस यान से सबसे पहला उपग्रह ऑर्बिट में 1993 में भेजा गया. बता दें कि इससे पहले यह सुविधा सिर्फ रूस के पास थी.
- भारत का मानव रहित चंद्रयान मिशन 2008 में बनाया गया था. इससे पहले चांद पर पहुंचने का कारनामा सिर्फ 6 देश ही कर पाए थे.
- मंगलयान- भारतीय मंगलयान पहली ही बार में मंगल पर पहुंचने में सफल रहा. भारत दुनिया में पहला देश बना जो अपने पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंच गया. देश के इस मिशन के बाद भारतीय वैज्ञानिकों को दुनिया अलग नजर से देखने लगी.
- जीएसएलवी मार्क 2 का सफल प्रक्षेपण भी देश के लिए एक बड़ी कामयाबी थी. इसमें देश में निर्मित क्रायोजनिक इंजन लगा हुआ था. इसके निर्माण के बाद से सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए भारत को दुनिया के अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा.
- भारत ने खुद का नेविगेशन सिस्टम भी विकसित कर लिया है. भारत ने इस अभियान को पूरा करने के लिए सातवां और आखिरी उपग्रह साल 2016 में प्रक्षेपित किया जिसके बाद भारत, अमेरिका और रूस के बाद खुद का नेविगेशन सिस्टम बनाने वाला तीसरा देश बन गया.
- इसरो के नाम 104 सैटेलाइट प्रक्षेपित करने का विश्व रिकॉड है. भारतीय वैज्ञानिकों ने PSLV के जरिए एक साथ 104 सैटेलाइट का सफल लॉन्च किया जिसमें 101 छोटे सैटेलाइट्स थे जिनका वजन 664 किलो ग्राम था. इतने उपग्रह का प्रक्षेपण दुनिया के किसी देश ने एक साथ नहीं किया है.
यह भी पढ़ें-
Chandrayaan-2: लैंडर से टूटा इसरो का संपर्क, थोड़ी देर बाद राष्ट्र को संबोधित करेंगे पीएम मोदी