NISAR Satellite Ready To Launch: नासा-इसरो की ओर से बनाए जा रहे साझा उपग्रह निसार (NISAR) का निर्माण अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है. जानकारी के मुताबिक, इस सैटेलाइट के भारत रवाना होने में बस कुछ ही दिन और रह गए हैं. नासा और इसरो के वैज्ञानिक इस सैटेलाइट को सुरक्षित भारत भेजने की व्यवस्था कर रहे हैं.
भारत भेजे जाने से पहले इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इसके अंतिम विद्युत परीक्षण की निगरानी की. इसके लिए वह शुक्रवार (3 फरवरी) को कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्जन लैब (JPL) में पहुंचे. यह उपग्रह पृथ्वी की भूमि और बर्फ की सतहों का अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद करेगा.
जेपीएल में आयोजित औपचारिक समारोह में सोमनाथ ने कहा, "यह मिशन एक विज्ञान उपकरण के रूप में रडार की क्षमता का शक्तिशाली प्रदर्शन होगा और हमें पृथ्वी की गतिशील भूमि और बर्फ की सतहों का पहले से कहीं अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद करेगा." कार्यक्रम में दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के वरिष्ठ वैज्ञानिक मौजूद थे. बता दें कि इसरो और नासा ने 2014 में 2,800 किलोग्राम वजनी उपग्रह बनाने के लिए हाथ मिलाया था.
फरवरी के अंत में भेजी जाएगी भारत
इसे फरवरी के अंत में भारत भेजा जाएगा. जानकारी के अनुसार, यह सैटेलाइट पृथ्वी की भूमि और बर्फ की सतहों का अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद करेगा. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, "यह उपग्रह पूरे विश्व के लिए भारत-अमेरिका सहयोग का अभूतपूर्व परिणाम बनने जा रहा है."
पेलोड का एकीकरण पूरा हुआ
इसके पेलोड का एकीकरण पूरा हो गया है. अब आगे के एकीकरण के लिए और अगले साल इसके लॉन्च करने के लिए भारत भेजने का ग्रीन सिग्नल मिल गया है. दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने बताया, "यह मिशन एक विज्ञान उपकरण के रूप में रडार की क्षमता का शक्तिशाली प्रदर्शन होगा."
रडार डेटा एकत्र करेगी यह सैटेलाइट
बता दें कि NISAR लगभग 40 फीट (12 मीटर) व्यास वाले ड्रम के आकार के रिफ्लेक्टर एंटीना के साथ रडार डेटा एकत्र करेगा. यह पृथ्वी की भूमि और बर्फ की सतहों में एक इंच के अंश तक परिवर्तन का निरीक्षण करने के लिए इंटरफेरोमेट्रिक सिंथेटिक एपर्चर रडार नामक सिग्नल-प्रोसेसिंग तकनीक का उपयोग करेगा.