इसरो ने SpaDex मिशन को लेकर दिया बड़ा अपडेट, कहा- सामान्य स्थिति में आई दोनों सैटेलाइट
ISRO: बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने शुक्रवार (10 जनवरी, 2025) को कहा था कि दोनों अंतरिक्ष यानों को होल्ड मोड पर रखा गया था और एक दूसरे से उनकी दूरी 1.5 किलोमीटर की दूरी पर थे.
ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार (11 जनवरी, 2025) को स्पैडेक्स प्रोजेक्ट पर नए अपडेट साझा करते हुए बताया कि मिशन में शामिल दो अंतरिक्ष यान सामान्य स्थिति में हैं. ISRO ने एक्स पर पोस्ट में जानकारी देते हुए बताया कि इंटर सैटेलाइट को 230 मीटर की दूरी (आईएसडी) पर रोक लिया गया है, सभी सेंसर का मूल्यांकन किया जा रहा है. अंतरिक्ष यान सुरक्षित है.
बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने शुक्रवार (10 जनवरी, 2025) को कहा था कि दोनों अंतरिक्ष यानों को होल्ड मोड पर रखा गया था और एक दूसरे से उनकी दूरी 1.5 किलोमीटर की दूरी पर थे. पोस्ट में ISRO की ओर से कहा गया था, “कल (शनिवार) सुबह तक 500 मीटर की दूरी पर आगे बढ़ने की योजना है.”
दूसरे मिशन के लिए रास्ते बनाएगा ISRO का ये प्रयोग
अब आपको ये भी बता देते हैं कि ISRO का ये मिशन क्या है? स्पैडेक्स मिशन बीते साल 30 दिसंबर को लॉन्च किया गया था. इस मिशन के तहत ISRO दो अंतरिक्ष यानों को डॉक करने का प्रयास करेगा, जिनको एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) नाम दिया गया है. ISRO का ये प्रयोग भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों, जैसे चंद्रयान-4, गगनयान और प्रस्तावित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन आदि के लिए रास्ते बनाएगा.
SpaDeX Status Update:
— ISRO (@isro) January 11, 2025
Arrested at Inter Satellite Distance (ISD) of 230 m, all sensors are being evaluated. Spacecraft's health is normal.#SPADEX #ISRO
पहले भी दो बार टली डॉकिंग
अब आपको ये भी बताते हैं कि ये डॉकिंग क्या है? डॉकिंग एक बेहद जटिल प्रक्रिया है, जिसे अब तक सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन ही हासिल कर पाया है. हालांकि, स्पैडेक्स मिशन लॉन्च करने के बाद ISRO को दो बार डॉकिंग की प्रक्रिया को स्थगित करना पड़ा था. इसके प्रयोग के लिए 6 जनवरी का दिन निर्धारित किया गया था, लेकिन इसे 9 जनवरी तक के लिए टाल दिया गया था क्योंकि इसरो ने पाया कि डॉकिंग प्रक्रिया को उस दिन पाए गए सिनेरियो के आधार पर ग्राउंड सिमुलेशन के माध्यम से आगे के सत्यापन की आवश्यकता होगी. इसके बाद 8 जनवरी को भी प्रयोग को फिर से होल्ड किया गया. उस समय पाया गया था कि बहाव जरूरत से ज्यादा तेज था.
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