बेंगलुरू: भारत और चीन के बीच चल रही तनातनी के बीच इसरो भारत का एक और जासूस भेजने जा रहा है. ये अंतरिक्ष से चीन की हर गतिविधि पर अपनी पैनी नजर रखेगा. कोरोना महामारी के कारण इसरो के मिशन पर नहीं इसका खासा असर पड़ा है. अब तक दस से ज्यादा मिशन इससे प्रभावित हुए हैं. लेकिन अब इसरो फिर एक बार अंतरिक्ष में उड़ान भरने को पूरी तरह से तैयार है. कोरोना महामारी के बीच इसरो इस साल का अपना पहला सेटेलाइट नवंबर महीने में प्रक्षेपित करने की तैयारी कर रहा है.
साथ ही इसरो दिसंबर से पहले अपना नया रॉकेट 'स्मॉल सैटेलाइट लांच व्हीकल' यानी एसएसएलवी लांच करने की योजना भी बना रहा है. बड़ी मोटर- ठोस ईंधन वाली बूस्टर मोटर की जांच के लिए आवश्यक परीक्षण नवंबर में किया जाएगा. इसरो के अनुसार इसका का लांच PSLV C49 की उड़ान के बाद श्रीहरिकोटा के पहले लॉन्च पैड से होगा. अगले महीने PSLV C49 अपने साथ RISAT 2BR2 और लगभग 10 अन्य कमर्शियल उपग्रहों को लेकर उड़ान भरेगा.
कोविड महामारी के चलते ठप पड़ी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में इसरो अब जुट गया है. तीन रॉकेट के जरिए देश-विदेश के दर्जन भर से ज्यादा उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे. इस सिलसिले में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से रॉकेट छोड़ने के लिए एक वर्चुअल लांच कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया है.
यह सेंटर तिरुअनंतपुरम के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में बनाया गया है. यहीं से रिमोट के जरिये श्रीहरिकोटा में रॉकेट का परीक्षण चल रहा है और इसी तरह लांचिंग भी होगी. इसरो ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के दौर में एजेंसी ने सेटेलाइट लांचिंग की प्रक्रिया में कम से कम लोगों को श्रीहरिकोटा भेजने के लिए वर्चुअल लॉन्चिंग का विकल्प तैयार किया है. इसके चलते इस समय रॉकेटों के परीक्षण का कार्य वीएसएससी स्थित वर्चुअल लांच कंट्रोल सेंटर से हो रहा है. श्रीहरिकोटा में तीन रॉकेट लांचिंग के लिए तैयार हैं.
पहला रॉकेट PSLV C49 नवंबर के फर्स्ट हाफ में छोड़ा जाएगा. इसके बाद दिसंबर में PSLV C50 और उसके GSAT- 12R को छोड़ा जाएगा. इसके अलावा इसरो GiSAT-1 और अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटलाइट MicroSat-2A को भी प्रक्षेपित करने की तैयारी कर रहा है.
इसरो आरएलवी का परीक्षण भी दिसंबर तक करने जा रहा है. RLV यानी री- यूसेबल लॉन्च व्हेकिल, जो कि कक्षा में उपग्रहों को भेजने के बाद अगले मिशन के लिए वापस धरती पर लौट आएगा. जिसका इस्तेमाल दोबारा अगले मिशन के लिए किया जा सकेगा. यह भारत का देसी स्पेस शटल होगा.
अमेरिका के स्पेस शटल के समान ही इसरो अपने देसी शटल आरएलवी बनाने जा रहा है. इसरो का यह कदम उपग्रह प्रक्षेपण लागत को भी कम करेगा. अब तक इसरो केवल पीएसएलसी और जीएसएलवी का इस्तेमाल कर रहा है. जल्द ही एसएसएलवी और आरएलवी के टेस्ट के साथ ही इसरो को अपने मिशन के लिए मेजर बूस्ट मिलेगा. RLV के परीक्षण के बाद कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में पुन: लैंडिंग की जाएगी.
कोरोना के कारण इसरो पर इसका खासा प्रभाव पड़ा है. लेकिन अब इसरो पूरी तरह कमबैक करने को तैयार है. हालांकि इसरो के कुछ खास मिशन में कुछ देरी ज़रूर होगी लेकिन देश के वैज्ञानिक सूरज तक पहुंचने का मिशन आदित्य L 1, चंद्रयान -3, अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष तक भेजने का मिशन गगनयान और मंगलयान 2 पर भी दिन रात काम कर रहे हैं.
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