नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते विचार करेगा. इस मसले पर कोर्ट ने अपने पूर्व जज जस्टिस डी के जैन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने पिछले हफ्ते अपनी रिपोर्ट जमा करवा दी थी. आज केंद्र सरकार ने कोर्ट से रिपोर्ट के आधार पर केरल पुलिस के अधिकारियों पर जल्द कार्रवाई की मांग की.


क्या है मामला?


स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने में लगे नंबी नारायणन को 1994 में केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन पर तकनीक विदेशियों को बेचने का आरोप लगाया गया. बाद में CBI जांच में पूरा मामला झूठा निकला. 1998 में खुद के बेदाग साबित होने के बाद नारायणन ने उन्हें फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. इस मामले को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में उन्हें 50 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया. साथ ही, उन्हें जासूसी के झूठे आरोप में फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर विचार के लिए पूर्व जज जस्टिस डी के जैन को नियुक्त किया.


आज क्या हुआ?


आज केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने एक आवेदन चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने रखा. उन्होंने कहा, "एक वैज्ञानिक जिसे पद्मभूषण से सम्मानित किया गया. जो देश के लिए अनमोल तकनीक बनाने में लगा था. उसे एक झूठे मुकदमें में फंसाया गया. अब कमेटी की रिपोर्ट सामने आ चुकी है. इसलिए, दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. कोर्ट कल ही मामले को सुने." इसपर चीफ जस्टिस ने कहा, "निश्चित रूप से यह एक गंभीर मामला है. लेकिन इस पर कल ही सुनवाई कर लेना जरूरी नहीं. हम अगले हफ्ते इसे सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश देते हैं."


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