इसरो का 'स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट' टला, अगर हो गए कामयाब तो ऐसा करने वाला चौथा देश बनेगा भारत
ISRO SPADEX: स्पेडेक्स मिशन दो छोटे अंतरिक्ष यान का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष में डॉकिंग करेगा. इसके कामयाब होते ही भारत इस टेक्नोलॉजी को हासिल करने वाला 4 चौथा देश है.

ISRO SPADEX: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बीते सोमवार (30 दिसंबर 2024) को मिशन SPADEX लॉन्च किया था. इसरो अब पृथ्वी की कक्षा में दो सैटेलाइट का इस्तेमाल करके अपना महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष डॉकिंग करना चाह रहा है जो गुरुवार (9 जनवरी 2025) था, लेकिन इसको को इसे टालना पड़ा है. इससे पहले डॉकिंग 7 जनवरी को होनी थी लेकिन तब भी इसे टालना पड़ा था.
अगर इसरो अपने मिशन में सफल हो जाता है तो भारत अंतरिक्ष डॉकिंग टेक्नोलॉजी वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. पीएसएलवी सी60 रॉकेट ने दो छोटे सैटेलाइट्स- एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) तथा 24 पेलोड को लेकर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लॉन्चपैड से उड़ान भरी थी. प्रक्षेपण के लगभग 15 मिनट बाद, लगभग 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे अंतरिक्ष यान को 475 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में छोड़ दिया गया था.
While making a maneuver to reach 225 m between satellites the drift was found to be more than expected, post non-visibility period.
— ISRO (@isro) January 8, 2025
The planned docking for tomorrow is postponed. Satellites are safe.
Stay tuned for updates.#ISRO #SPADEX
क्यों अहम है ये मिशन?
इसरो के अनुसार, स्पेडेक्स मिशन दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए एक लागत प्रभावी टेक्नोलॉजी प्रदर्शन मिशन है. यह टेक्नोलॉजी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं जैसे कि चंद्रमा पर भारत की पहुंच, चंद्रमा से सैंपल रिटर्निंग, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन के लिए आवश्यक है.
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पेडेक्स) एक महत्वपूर्ण परियोजना है जिसे दो छोटे उपग्रहों का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष यान के मिलान, डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए आवश्यक टेक्नोलॉजी को विकसित करने और प्रदर्शित करने के लिए तैयार किया गया है.
इसरो ने कहा, "स्पेडेक्स अंतरिक्ष डॉकिंग में भारत की क्षमताओं को आगे बढ़ाने में एक मील का पत्थर साबित होगा. अंतरिक्ष डॉकिंग उपग्रह सर्विसिंग, अंतरिक्ष स्टेशन संचालन और अंतरग्रहीय मिशन सहित भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी है."
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