नई दिल्ली: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने साल के पहले सैटेलाइट 'EOS-01' (अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट) का सफल प्रक्षेपण किया. इस सैटेलाइट को सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-C49 रॉकेट से लॉन्च किया गया. ये अडवांस्ड अर्थ ऑब्जरवेशन उपग्रह है जिसका सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) दिन और रात की परवाह किए बिना बादलों को भेद कर भी हाई रेज्योल्युशन की तस्वीर लेने  में सक्षम है. इसके अलावा नौ विदेशी सैटेलाइट भी लॉन्च किए गए.


इस सफलता पर इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा, “इस महामारी के दौरान इसरो की टीम ने गुणवत्ता से समझौता किए बिना कोविड दिशानिर्देशों के अनुसार काम किया. इसरो के सभी कर्मचारियों को इस समय गुणवत्तापूर्ण काम करते देखना वास्तव में खुशी की बात है.”





इसके साथ ही उन्होंने कहा, “यह मिशन इसरो के लिए बहुत खास और असाधारण है. अंतरिक्ष गतिविधि 'घर से काम' से नहीं की जा सकती. हर इंजीनियर को लैब में उपस्थित रहना पड़ता है. जब इस तरह के मिशनों के बारे में बात की जाती है, तो प्रत्येक तकनीशियन, कर्मचारी को एक साथ मिलकर काम करना पड़ता है.”


रॉकेट का प्राथमिक पेलोड भारत का राडार इमेजिंग उपग्रह EOS-01 है, यह RISAT-2BR2 उपग्रह है जिसका नाम बदलकर EOS-01 रखा गया है. भारत की नई आंख अंतरिक्ष से सेना की निगरानी क्षमता को बढ़ावा देगी और सुरक्षा बलों को चीन के साथ एलएएसी स्टैंड-ऑफ के बीच सीमाओं पर नजर रखने में मदद करेगी. अपनी निगरानी भूमिका के अलावा, ईओएस -01 का उपयोग कृषि, वानिकी, मिट्टी की नमी, भूविज्ञान, तटीय निगरानी और बाढ़ निगरानी जैसे नागरिक अनुप्रयोगों के लिए भी किया जाएगा. जबकि ग्राहक उपग्रहों को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), अंतरिक्ष विभाग के साथ वाणिज्यिक समझौते के तहत लॉन्च किया जा रहा है.


एजेंसी अगले महीने तक अपने नए रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) या मिनी-पीएसएलवी के बहुप्रतीक्षित परीक्षण के लिए भी तैयार है. इससे पहले इसरो ने RISAT-2BR1 को PSLV C48 के जरिये प्रक्षेपित किया था. उसके बाद, जनवरी 2020 में, GSAT-30 संचार उपग्रह को एरियन -5 वीए -251 पर लॉन्च किया गया था. इसरो को 5 मार्च 2020 को GISAT  -1 ऑनबोर्ड जीएसएलवी-एफ 10 के लॉन्च करना था, जिसे तकनीकि मुद्दों के कारण स्थगित कर दिया गया था.


IIT दिल्ली के छात्रों को पीएम मोदी का मंत्र, कहा-कोरोना काल के बाद तकनीक की होगी बड़ी भूमिका