ISRO Rocket: ISRO को मिली सफलता, अपने सबसे भारी रॉकेट LVM 3-M3 के CE-20 इंजन का किया सफल परीक्षण
NSIL के तरफ से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से 23 अक्टूबर को वनवेब के पहले 36 सैटेलाइट को प्रोजेक्ट किया गया था. इसके कुछ दिनों के बाद ही शुक्रवार को CE-20 इंजन का उड़ान संबंधी टेस्ट किया गया.
ISRO: तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में स्थित ISRO Propulsion Complex (IPRC) के ‘हाई एल्टीट्यूड टेस्ट’ सेंटर में 25 सेकंड की अवधि के दौरान CE-20 इंजन के उड़ान का टेस्ट किया गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि यह इंजन LVM 3-M3 मिशन के लिए निर्धारित किया गया है, जिसके तहत वनवेब इंडिया-1 के अगले 36 सैटेलाइट को प्रोजेक्ट किया जाएगा.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लंदन में मौजूद सैटेलाइट संचार कंपनी ‘वनवेब’ के इन सैटेलाइट को इसरो की Business Branch New Space India Limited (NSIL) अगले साल की शुरुआत में प्रोजेक्ट कर सकती है.
CE-20 इंजन का टेस्ट
New Space India Limited (NSIL) के तरफ से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC-SHAR) से 23 अक्टूबर को वनवेब के पहले 36 सैटेलाइट को प्रोजेक्ट किया गया था. इसके कुछ दिनों के बाद ही शुक्रवार को CE-20 इंजन का उड़ान संबंधी टेस्ट किया गया. LVM 3-M3 इसरो का सबसे भारी रॉकेट है और यह चार टन के कैटेगरी वालें में सैटेलाइट को भू समकालिक (Geosynchronous) ऑर्बिट में भेजने को सक्षम है.
इसरो ने शनिवार (29 अक्टूबर) को अपने एक बयान में कहा, ‘‘LVM3 यान (सी25 स्टेज) का क्रायोजेनिक अपर स्टेज सीई-20 इंजन के मदद से चलता है जो LOX-LH2 Propulsion Complex के साथ काम करता है.’’
भारत कर चुका है 300 से ज्यादा कमर्शियल लॉन्च
जाहिर है अब तक जहां कमर्शियल लॉन्च को पीएसएलवी के जरिए पूरा किया जाता था, वहीं कमर्शियल मार्केट में उतरने के साथ ही यह इसरो और NSIL के लिए नए प्लेटफार्म खोलेगा. अब तो इस प्रोजेक्सन की सफलता के साथ ही इसरो ने दुनिया भर में अपना लोहा मनवा लिया कि किसी भी भारी मिशन के लिए भी अब इसरो अपने LVM3 के साथ पूरी तरह तैयार है.
साफ है इस के साथ इसरो के लिए नए ऑपर्च्युनिटी के दरवाजे भी खोलेगा जो सीधे तौर पर रेवेन्यू के लिए कारगर साबित होगा. दरअसल कोई भी देश अपने बड़े से बड़े लॉन्च के लिए भारत की ओर इसलिए देखता है क्योंकि भारत ने अब तक 300 से ज्यादा कमर्शियल लॉन्च कर दुनिया को यह बता दिया है कि काम खर्च में भी कैसे स्पेस में फतह हासिल की जा सकती है. भारत ने तो कम बजट में मंगल तक पहुंच कर दिखा दिया था. यह दुनिया भर का भरोसा ही है जो इसरो पर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है.
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