ISRO Gaganyaan Mission: भारत के पहले निजी तौर पर निर्मित रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के एक दिन बाद इसरो ने गगनयान मिशन का एक प्रमुख परीक्षण पूरा कर लिया है. गगनयान अंतरिक्ष के लिए भारत का पहला मानव मिशन है जिसके अगले साल लॉन्च होने की उम्मीद है. शनिवार (19 नवंबर) को हुए इस टेस्ट में पैराशूट की ताकत और क्षमता का परीक्षण किया गया है जिससे कि गगनयान के क्रू मॉड्यूल की लैंडिंग के वक्त कोई दिक्कत न हो.
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) ने उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में बबीना फील्ड फायर रेंज (BFFR) में अपने क्रू मॉड्यूल डेक्लेरेशन सिस्टम का इंटीग्रेटेड मेन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट (IMAT) आयोजित किया. अगले साल तक पहला अंतरिक्ष यात्री मिशन शुरू करने की भारत की योजना को देखते हुए यह परीक्षण महत्वपूर्ण है.
क्रू मॉड्यूल के वजन के बराबर के डमी गिराए
क्रू मॉड्यूल के वजन के बराबर 5 टन डमी को 2.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाया गया और भारतीय वायु सेना के आईएल-76 विमान का उपयोग करके गिरा दिया गया. इसके बाद दो छोटे पायरो-आधारित मोर्टार-तैनात पायलट पैराशूट ने मुख्य पैराशूट खींचे. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कहा कि गगनयान क्रू मॉड्यूल के लिए, पैराशूट प्रणाली में कुल 10 पैराशूट होते हैं.
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने आगे कहा कि इनमें तीन मुख्य पैराशूट हैं जिसमें से दो मुख्य पैराशूट अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर उतारने के लिए पर्याप्त हैं. शनिवार को किए गए परीक्षण में ऐसी स्थिति पैदा की गई जिसमें एक मुख्य पैराशूट खुलने में विफल रहा और यह पैराशूट प्रणाली की विभिन्न विफलता स्थितियों को अनुकरण करने के लिए नियोजित परीक्षणों की श्रृंखला में पहला है.
दो मानवरहित मिशन भी आयोजित होंगे
परीक्षण से पता चला कि पूरी तरह से फुलाए गए मुख्य पैराशूट ने पेलोड की गति को एक सुरक्षित लैंडिंग गति तक कम कर दिया. पूरा क्रम लगभग 2-3 मिनट तक चला और पेलोड द्रव्यमान धीरे-धीरे जमीन पर उतरा. भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को गगनयान (Gaganyaan) में भेजने से पहले इसरो (ISRO) दो मानवरहित मिशन आयोजित करने की योजना बना रहा है. मानवरहित परीक्षण 2023 में होने की संभावना है.
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