नई दिल्ली: सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से इसरो ने कार्टोसैट-3 सैटेलाइट लॉन्च किया है. यह धरती से 509 किलोमीटर ऊपर चक्कर काटेगा और सेना के लिए होगा मददगार. चंद्रयान 2 के बाद यह इसरो का बड़ा मिशन है. यह लॉन्च पहले 25 नवंबर को था जिसे बाद में 27 नवंबर को रखा गया.


कार्टोसैट -3 उपग्रह कार्टोसैट सीरीज का नौवां उपग्रह है जो कि अंतरिक्ष से भारत की सरहदों की निगरानी के लिए प्रक्षेपित किया जाएगा. सीमा निगरानी के लिए इसरो कार्टोसैट -3 के बाद दो और उपग्रह रीसैट-2 बीआर1 (Risat-2BR1) और रीसैट 2 बीआर 2 (Risat-2BR2) को पीएसएलवी सी-48 और पीएसएलवी सी-49 की मदद से दिसंबर में श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाना है. कार्टोसेट-3 अंतरिक्ष में 509 किलोमीटर दूर 97.5 डिग्री के झुकाव के साथ कक्षा में स्थापित किया जाएगा.


पीएसएलवी सी-47 रॉकेट को श्रीहरिकोटा से 27 नवंबर को नौ बजकर 28 मिनट पर लॉन्‍च किया गया. यह अपने साथ थर्ड जनरेशन के अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट कार्टोसेट-3 और अमेरिका के 13 कॉमर्शियल सैटेलाइटों लेकर जाएगा. इसके बाद इसरो दो और सर्विलांस सैटेलाइटों की लॉन्‍च‍िंग करेगा. रीसैट-2 बीआर1 और रीसैट 2 बीआर 2 को दिसंबर में दो अलग अलग मिशन में प्रक्षेपित किया जाएगा. जानकारों का मानना है कि भारतीय सरहदों की निगेहबानी के लिए ये तीनों सैटेलाइट Risat-2BR1, Risat-2BR2, Cartosat 3 अंतरिक्ष में भारत की आंख के तौर पर काम करेंगे. जिसे भारत की अंतरिक्ष में भारत की खुफिया आंख कह सकते हैं.


जब उरी हमले का बदला लेने के लिए सेना ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की थी, इसरो के इन्हीं सीरीज के उपग्रहों की मदद से ही आतंकियों के ठिकानों का पता किया गया. ये उपग्रह लाइव तस्वीरें लेने में सक्षम है. कार्टोसैट-3, कार्टोसैट सीरीज का नौवां सैटेलाइट होगा. कार्टोसैट-3 का कैमरा हाई रिजॉल्यूशन कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम 9.84 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा. यानी आप की कलाई पर बंधी घड़ी पर दिख रहे सही समय की भी सटीक जानकारी देगा. या यह कहें की पहले जहां सैटेलाइट तस्वीरों से यह पता चलता था कि सड़क पर खड़ी गाड़ी किस रंग की है या किस गली से गुजर रही है? वहीं कार्टोसैट -3 के प्रक्षेपण के बाद भारत के पास यह जानकारी भी पुख्ता होगी किस सड़क पर खड़ी गाड़ी जिस रंग की है उसके नंबर प्लेट पर आखिर क्या लिखा है. इसे आप अनुमान लगा सकते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से यह प्रक्षेपण कितना अहम है. बता दें कि पाकिस्तान पर हुए सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर कार्टोसैट उपग्रहों की मदद ली गई थी. इसके अलावा विभिन्न प्रकार के मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने में भी सक्षम है यह उपग्रह. जो कि प्राकृतिक आपदाओं में मदद करेगा.


बीते जून महीने में इसरो की ओर से कार्टोसैट-2 श्रृंखला के साथ 31 नैनो उपग्रहों का आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस स्टेशन से लॉन्‍च किया गया था. कार्टोसैट-2 एक अर्थ इमेजिंग उपग्रह है जिसमें मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरे भी लगे हैं. ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब इसरो श्रीहरिकोटा से साल में हुए सभी सैटेलाइटों की लॉन्चिंग सैन्‍य उद्देश्‍यों से कर रहा है. सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट स्ट्राइक के दौरान भी इसरो के उपग्रहों ने अहम भूमिका निभाई थी.


कार्टोसैट सीरीज की बात करे तो भारत ने अब तक 8 उपग्रह इस सीरीज के प्रक्षेपित लिए है. कार्टोसैट-3 इस सीरीज का नौवां उपग्रह है. भारत ने सीरीज का पहला उपग्रह कार्टोसैट-1 5 मई 2005, दूसरा कार्टोसैट-2 को 10 जनवरी 2007 को, तीसरा कार्टोसैट-2A को 28 अप्रैल 2008 को, चौथा कार्टोसैट-2B को 12 जुलाई 2010, पांचवां सैटेलाइट 22 जून 2016, छठा 15 फरवरी 2017, सातवां सैटेलाइट 23 जून 2017, आठवां सैटेलाइट 12 जनवरी 2018 को लॉन्च किया गया था. अब इस सीरीज का नौवां उपग्रह प्रक्षेपित किया जा रहा है.