(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मंगल और चंद्रमा से मिलती-जुलती है इंडिया की ये लोकेशन, नए मिशन की तैयारी में होगी मददगार!
ISRO Space Mission: इसरो जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में मंगल और चंद्रमा का एनॉलॉग रिसर्च स्टेशन बनाएगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां के हालात मंगल गृह जैसे ही हैं.
ISRO Space Mission: देश के वैज्ञानिक चंद्रमा और मंगल पर सालों से शोध कर रहे हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने दोनों ग्रहों पर कई मिशन भी भेजे हैं. इन दोनों ग्रहों पर विशेष अध्ययन करने के लिए धरती पर दुनिया भर में कई स्पेस सेंटर बनाए गए हैं. इसी कड़ी में मंगल मिशन के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान और बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने लद्दाख में देश का पहला मंगल और चंद्रमा समानांतर अनुसंधान स्टेशन के लिए आदर्श स्थल माना है.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, इसी कड़ी में एनालॉग रिसर्च स्टेशन के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान और बीरबल साहनी पुरावविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने लद्दाख को आइडियल साइट माना है. एनालॉग रिसर्च स्टेशन के लिए लद्दाख को आइडियल साइट के रूप में चुने जाने से ये साफ गो गया है कि आने वाले समय में लद्दाख स्पेस के क्षेत्र के रूप में जाना जाएगा.
लद्दाख में मंगल जैसे हैं हालात- वैज्ञानिक
मीडिया रिपोर्ट्स की मुताबिक, इस एनालॉग रिसर्च स्टेशन में ऐसी सुविधाएं हैं जहां से चांद और मंगल ग्रह से जुड़ी रिसर्च की जा सकती हैं. चांद और मंगल ग्रह पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए कैसे घर का निर्माण होगा, इसकी टेस्टिंग लद्दाख में हो सकती है. रिसर्च के दौरान वैज्ञानिक यह भी जान पाएंगे कि इतने खराब मौसम में भी सूक्ष्मजीव कैसी प्रतिक्रिया देते हैं.
बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान की वैज्ञानिक बिनीता फर्त्याल और भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक आलोक कुमार और शुभांशु शुक्ला ने एनालॉग रिसर्च स्टेशन के लिए लद्दाख को चुना है. उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया है कि यहां की परिस्थितियां मंगल जैसी हैं.
जानिए ISRO के लिए लद्दाख क्यों हैं खास?
देश के वैज्ञानिकों की रिसर्च खास इसलिए भी हो जाती है क्योंकि मंगल और चंद्रमा ग्रह को लेकर भारत अपने नए मिशन की तैयारी कर रहा है. माना जा रहा है कि वैज्ञानिक 2040 तक चांद पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना चाहते हैं. चूंकि, लद्दाख की जियोलॉजिकल कंडीशन, जोकि काफी टफ है, और इसकी अनोखी भौगोलिक खूबियां, जो मंगल और चंद्रमा के हालात से मिलती-जुलती हैं. इसलिए इसे एनालॉग रिसर्च स्टेशन के लिए सही जगह बनाती हैं.
इस प्रोग्राम को करने से भारत को अपने स्पेस प्रोग्राम में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी और वह चंद्रमा और मंगल ग्रह पर अपने मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करने में सक्षम होगा. हालांकि, लद्दाख में बन रहे एनालॉग रिसर्च स्टेशन को तैयार होने में कितना समय लगेगा, इसे लेकर फिलहाल कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
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