नई दिल्ली: चंद्रयान 2 के जरिए अंतरिक्ष की दुनिया में भारत एक और इतिहास रचने वाला है. मिशन चंद्रयान की लॉन्चिंग में अब कुछ ही घंटे का इंतजार है. रविवार शाम 6.43 मिनट पर 20 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो गई. आज दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर चंद्रयान 2 को लॉन्च किया जाएगा. चेन्नई से लगभग 100 किलोमीटर दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र में दूसरे लांच पैड से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया जाएगा. इस मिशन की लागत 978 करोड़ रुपये है.


इससे पहले चंद्रयान-2 को लेकर जीएसएलवी-एमके-3 रॉकेट 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट पर उड़ान भरने वाला था, मगर तकनीकी खराबी के कारण रॉकेट के प्रस्थान करने से एक घंटा पहले उड़ान स्थगित कर दी गई. बाद में इसरो ने अपने 44 मीटर लंबे जियोसिनक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल-मार्क-3 (जीएसएलवी-एमके-3) की गड़बड़ी दूर की. इससे पहले इसे जनवरी के पहले सप्ताह में प्रक्षेपित करने का निर्णय भी लिया गया था, जिसे बाद में 15 जुलाई के लिए टाल दिया गया. इस 3,850 किलोग्राम वजनी अंतरिक्ष यान को अपने साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर लेकर जाना था. इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 को चंद्रमा पर उतरने में 54 दिन लगेंगे.


इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा, जहां वह इसके अनछुए पहलुओं को जानने का प्रयास करेगा. इससे 11 साल पहले इसरो ने पहले सफल चंद्र मिशन चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाए और 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिनों तक काम करता रहा. इसरो ने इस मिशन के प्रक्षेपण की नई तिथि की घोषणा करते हुए 18 जुलाई को ट्वीट किया था, ‘‘ ‘बाहुबली’ कहा जाने वाला जीएसएलवी मार्क-... रॉकेट अब अरबों लोगों के सपने को ‘चंद्रयान-2’ के रूप में चंद्रमा पर ले जाने के लिए तैयार है.’’ इस मिशन के प्रक्षेपण की पूर्व संध्या पर इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने बताया कि सभी तैयारियां हो गई हैं और गड़बड़ी को ठीक कर लिया गया है.


चंद्रयान 2 के तीन हिस्से हैं. पहला ऑर्बिटर है, जो चांद की कक्षा में रहेगा. दूसरा लैंडर है जिसका नाम विक्रम है ये चांद की सतह पर उतरेगा और तीसरा हिस्सा है प्रज्ञान जो कि रोवर है, ये चांद की सतह पर घूमेगा. चंद्रयान 2 करीब 3 लाख 84 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर करीब 55 दिन बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जिसके बाद चांद के कई रहस्यों को जानने की कोशिश होगी. चंद्रयान 2 मिशन इसरो के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है क्योंकि पहली बार इसरो चांद पर रोवर उतारने जा रहा है और ये मिशन कामयाब होता है रूस, अमेरिका, चीन के बाद भारत दुनिया का चौथा देश होगा जो दूसरे खगोलीय पिंडों पर रोवर उतार सकेगा.