नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत 2020 में चंद्रयान-3 को लॉंच करेगा. उन्होंने कहा कि इस अभियान पर चंद्रयान-2 से भी कम लागत आएगी. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि चंद्रयान-2 को निराशा करार देना गलत होगा. जबकि यह चंद्रमा के सतह पर उतरने की भारत की पहली कोशिश थी और कोई देश पहली कोशिश में ऐसा नहीं कर सका. अमेरिका ने भी कई कोशिशें की थी.


सिंह ने कहा, ‘‘हां, लैंडर एवं रोवर मिशन के 2020 में होने की बहुत संभावना है. हालांकि, जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि चंद्रयान-2 मिशन को नाकाम नहीं कहा जा सकता क्योंकि हमने इससे काफी कुछ सीखा है.


उन्होंने यह भी कहा कि चंद्रयान-2 से मिले अनुभव और उपलब्ध बुनियादी ढांचा चंद्रयान-3 की लागत को घटाएगा.


हालांकि, उन्होंने तीसरे चंद्र अभियान के प्रक्षेपण का महीना बताने से इनकार कर दिया.


चंद्रयान 2 को 22 जुलाई 2019 को प्रक्षेपित किया गया था और 7 सितंबर 2019 को इसकी चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होनी थी. लेकिन आखिरी कुछ मिनटों में तकनीकी गड़बड़ी के चलते वह सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो सकी.


भारतीय वैज्ञानिकों ने इन अभियानों के जरिए अपनी काबिलियत का मनवाया लोहा-




  • आपको बता दें कि इसरो ने अनेक ऐसे कारनामे किए हैं जो देश की प्रतिभा का लोहा दुनिया में मनवाती है. इसरो ने 1990 में पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) को विकसित किया. इस यान से सबसे पहला उपग्रह ऑर्बिट में 1993 में भेजा गया. बता दें कि इससे पहले यह सुविधा सिर्फ रूस के पास थी.

  • भारत का मानव रहित चंद्रयान मिशन 2008 में बनाया गया था. इससे पहले चांद पर पहुंचने का कारनामा सिर्फ 6 देश ही कर पाए थे.

  • मंगलयान- भारतीय मंगलयान पहली ही बार में मंगल पर पहुंचने में सफल रहा. भारत दुनिया में पहला देश बना जो अपने पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंच गया. देश के इस मिशन के बाद भारतीय वैज्ञानिकों को दुनिया अलग नजर से देखने लगी.

  • जीएसएलवी मार्क 2 का सफल प्रक्षेपण भी देश के लिए एक बड़ी कामयाबी थी. इसमें देश में निर्मित क्रायोजनिक इंजन लगा हुआ था. इसके निर्माण के बाद से सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए भारत को दुनिया के अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा.

  • भारत ने खुद का नेविगेशन सिस्टम भी विकसित कर लिया है. भारत ने इस अभियान को पूरा करने के लिए सातवां और आखिरी उपग्रह साल 2016 में प्रक्षेपित किया जिसके बाद भारत, अमेरिका और रूस के बाद खुद का नेविगेशन सिस्टम बनाने वाला तीसरा देश बन गया.

  • इसरो के नाम 104 सैटेलाइट प्रक्षेपित करने का विश्व रिकॉड है. भारतीय वैज्ञानिकों ने PSLV के जरिए एक साथ 104 सैटेलाइट का सफल लॉन्च किया जिसमें 101 छोटे सैटेलाइट्स थे जिनका वजन 664 किलो ग्राम था. इतने उपग्रह का प्रक्षेपण दुनिया के किसी देश ने एक साथ नहीं किया है.

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