INSAT-3DS Launching: ISRO फिर रचने जा रहा इतिहास! INSAT-3DS सैटेलाइट में क्या कुछ है खास, जानिए
INSAT-3DS Launch News: आईएमडी और राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) बेहतर मौसम पूर्वानुमान और मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए INSAT-3DS उपग्रह के डेटा का उपयोग करेंगे.
ISRO Will Launch INSAT 3DS: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) साल 2023 के बाद अब 2024 में भी एक बड़ी उपलब्धि दर्ज करने जा रहा है. इसरो आज (17 फरवरी 2024) अपने मौसम संबंधी सैटेलाइट (उपग्रह) INSAT-3DS को लॉन्च करेगा. इसे अंतरिक्ष यान GSLV F14 के जरिये शाम 5.35 बजे श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से लॉन्च किया जाएगा. इसे लेकर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. लोग भी इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
420 टन वजन वाला 51.7 मीटर लंबा GSLV F14 रॉकेट INSAT 3DS को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में ले जाकर स्थापित करेगा. यह GSLV F14 का 16वें प्रक्षेपण (लॉन्चिंग) है. जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद INSAT 3DS की कक्षा को चरणबद्ध तरीके से बदलकर इसे भू-स्थिर कक्षा में ले जाया जाएगा.
मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस का अहम योगदान
INSAT-3DS सैटेलाइट मिशन पूरी तरह से मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस (MoES) की ओर से वित्त पोषित है और इसे उन्नत मौसम संबंधी टिप्पणियों के लिए बनाया गया है. यह भूमि और महासागर की सतहों की निगरानी करेगा व मौसम की भविष्यवाणी और आपदा की सटीक चेतावनी देगा. मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के विभिन्न विभाग, जैसे कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF), बेहतर मौसम पूर्वानुमान और मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए INSAT-3DS उपग्रह के डेटा का उपयोग करेंगे.
#WATCH | ISRO Chairman S Somnath offered prayers at
— ANI (@ANI) February 17, 2024
at Sri Chengalamma Temple in Sullurpet of Andhra Pradesh today, ahead of meteorological satellite INSAT-3DS launch from Sriharikota pic.twitter.com/0KVd8gRvi7
क्या है इस मिशन का मकसद?
INSAT-3DS मिशन का सबसे अहम मकसद पृथ्वी और समुद्र की सतह की निगरानी करने के साथ ही मौसम संबंधी व आपदा संबंधी पूर्वानुमान उपलब्ध कराना है. इसके अलावा यह सैटेलाइट डेटा कलेक्शन प्लेटफार्मों (डीसीपी) और सैटेलाइट खोज और रिसर्च सर्विसेज से डेटा कलेक्शन और उन्हें विस्तार देगा.
इसे कैसे देख सकेंगे?
अगर आप भी इस खास पल को देखनना चाहते हैं तो इसका सीधा प्रसारण इसरो की वेबसाइट, इसरो के सोशल मीडिया चैनलों और दूरदर्शन नेटवर्क पर शाम 5 बजे से देख सकते हैं.
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