ISRO News: अंतरिक्ष के अनंत रहस्यों को उजागर करने और धरती के अलावा दूसरे खगोलीय पिंडों के सफर में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), दुनिया के दूसरे देशों को तो टक्कर दे ही रहा है. अब स्पेस में लंबी छलांग के जरिए न केवल वैज्ञानिक रहस्यों की गुत्थी सुलझेगी, बल्कि इसरो अब व्यावसायिक गतिविधियों के जरिए मोटी रकम की कमाई भी करने जा रहा है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शनिवार (10 फरवरी) को तिरुवनंतपुरम में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र एक 'बंद' और 'गुप्त' समाज से एक खुले समाज में बदल रहा है और इसके पीछे का उद्देश्य इसे सरकारी कार्यक्रम के बजाय एक आर्थिक या व्यावसायिक गतिविधि के रूप में बदलना है.
'खास मकसद से अंतरिक्ष नीति में बदलाव'
सोमनाथ ने यहां कनककुन्नु पैलेस में आयोजित मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स (एमबीआईएफएल)-2024 में कहा कि मानसिकता में यह बदलाव अमेरिका जैसे देशों में अंतरिक्ष-संबंधी गतिविधियों को एक आर्थिक गतिविधि में बदले जाने से आया है. इसका मकसद भी बेहद खास है.
इसरो के प्रमुख ने कहा कि पिछले 60 वर्षों में रॉकेट से लेकर सैटेलाइट्स बनाने तक के अंतरिक्ष क्षेत्र के काम का उद्देश्य सामाजिक अनुप्रयोग पर केंद्रित था ताकि ऐसी सेवाएं प्रदान की जाएं, जिससे आम आदमी को फायदा हो.
एमबीआईएफएल के पांचवें संस्करण के एक सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप अंतरिक्ष कार्यक्रम का बजट 'बहुत कम' - 10,000 करोड़ रुपये था. उन्होंने कहा, इसलिए इसे 10 गुना तक बढ़ाने के उद्देश्य से देश की अंतरिक्ष नीति में कुछ बदलाव लाने का निर्णय लिया गया.
व्यावसायिक मकसद से रॉकेट और उपग्रह बनाएगा इसरो
उन्होंने कहा कि भारत में रॉकेट और उपग्रह बनाने और उन्हें यहां से प्रक्षेपित करने के लिए बोइंग जैसी विभिन्न कंपनियों के साथ चर्चा जारी है. सोमनाथ ने कहा, 'ये ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में अतीत में कभी नहीं सोचा गया था. अंतरिक्ष एक बंद समाज था. इसमें बहुत गोपनीयता थी. हमने अब गोपनीयता खत्म कर दी है और इसमें खुलापन ला रहे हैं. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इसे (अंतरिक्ष क्षेत्र को) एक व्यावसायिक गतिविधि में बदलना है.”
बता दें कि पिछले साल (2023) अगस्त में चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और उसके बाद इस साल धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर L-1 पॉइंट पर सूरज के अध्ययन के लिए आदित्य L-1 को सफलतापूर्वक स्थापित कर इसरो ने इतिहास रचा है. पूरी दुनिया ने कम से कम बजट में बड़े से बड़े अंतरिक्ष कार्यक्रम को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों की क्षमता का लोहा माना है.
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