यह राकेट चार हजार किलो तक के उपग्रह ले जा सकता है. इस राकेट का प्रक्षेपण चेन्नई से 120 किमी दूर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेन्टर के दूसरे लांच पैड से शाम 5.28 बजे होगा, जहां जीएसएलवी एमके-III डी-1 अपने GSAT 19 सैटेलाइट को लेकर उड़ान भरेगा. जीएसएलवी एमके-III डी-1 राकेट 3,136 किलोग्राम वजन के उपग्रह जीसैट-19 को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा.
अब तक 2300 किलोग्राम से अधिक वजन के संचार उपग्रहों के लिए इसरो को विदेशी लॉन्चर्स पर निर्भर रहना पड़ता था. जजीएसएलवी एमके-III डी-1 4000 किलोग्राम तक के पेलोड को उठाकर भूतुल्यकालिक अंतरण कक्षा (जीटीओ) और 10 हजार किलोग्राम तक के पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाने में सक्षम है.
जीएसएलवी मार्क III डी-1 जिस GSAT19 को लेकर आज उड़ान भरेगा, वो अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट है. सैटेलाइट के बारे में अगर आपको बताए तो ये जिओ-स्टेशनरी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जिसका वजन 3136 किलो का है. यानी अब तक इसरो ने जितने भी उपग्रह लॉन्च किए है, उनमे ये सबसे भारी है.
नयी पीढ़ी का सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी मार्क-III डी-1 को माना जा रहा है. इसमें भी स्वदेशी तकनीक से तैयार क्रायोजेनिक इंजन लगा है, पहले भेजे गये उपग्रहों का प्रभावी डेटा जहां प्रति सेकेंड एक गीगाबाइट है, वहीं जीसैट- 19 से प्रति सेकेंड चार गीगाबाइट डेटा मिलेगा. इसरो चेयरमैन ए एस किरण कुमार ने कहा कि सभी नये यान और सभी नये उपग्रहों के साथ यह एक बड़ा प्रयोग है.
जी सैट 19 की खासियत
- तीन टन से ज्यादा वजन.
- अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अहमदाबाद में बना है.
- भारत में बना और प्रक्षेपित होने वाला सबसे विशाल व भारी उपग्रह है.
- स्वदेश निर्मित लीथियम आयन बैटरियों से संचालित होगा.
- जियोस्टेशनरी रेडिएशन स्पेक्टोमीटर अंतरिक्ष उपकरण ले जायेगा, जिससे आवेशित कणों की प्रकृति तथा उपग्रहों और उनके इलेक्ट्रॉनिक तत्वों पर अंतरिक्ष विकिरणों के प्रभाव की निगरानी और अध्ययन होगा.
- नये तरीके के मल्टीपल फ्रीक्वेंसी बीम के इस्तेमाल से इंटरनेट स्पीड और कनेक्टिविटी बढ़ जायेगी.
- इसरो के नये संचार उपग्रह जीसैट-19 और आने वाले वक्त में लांच किए जाने वाला जीसैट-11 भारत के संचार क्षेत्र की दशा और दिशा बदल सकते हैं. इनसे ऐसी इंटरनेट सेवाएं मिलेंगी, जैसे कि पहले कभी नहीं मिलीं.