ISRO: इसरो की SSLV D1 उड़ान ने गलत आर्बिट में स्थापित की सैटेलाइट, वैज्ञानिकों ने कही ये बात
वैज्ञानिकों को उस वक्त मायूसी हाथ लगी जब SSLV ने सेटेलाइट्स को 356 km सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित करने के बजाय एलेप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया. जिस वजह से ये सैटेलाइट किसी काम के नहीं रहेंगे.
ISRO Launch SSLV D1: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (Indian Space Research Organisation) ने आज सुबह 9.18 बजे भारत के पहले स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV D1) का प्रक्षेपण किया. जैसे ही SSLV D1 ने उड़ान भरी तभी भारत ने स्मॉल सैटेलाइट लॉन्चिग के मामले में एक अहम मुकाम हासिल किया.
इसरो के इस मिशन का काउंटडाउन 2.26 मिनट पर शुरू हुआ था और 10 मिनट के भीतर मिशन की दोनों सैटेलाइट EOS 02 और आजादी सैटेलाइट को सेपरेट कर उनको उनकी कक्षा में स्थापित करना था. वैज्ञानिकों को उस वक्त मायूसी हाथ लगी जब SSLV ने सेटेलाइट्स को 356 km सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित करने के बजाय एलेप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया. जिस वजह से ये सैटेलाइट अब किसी काम के नहीं रहेंगे.
फेल्योर की जांच कर रहा है इसरो
इसरो इस फेल्योर को जांच रहा है. इसके साथ उसके वैज्ञानिक यह पता लगाने की भी कोशिश कर रहे हैं कि क्या ये सेंसर फेल था या कोई और तकनीकी खराबी. इसके साथ ही इसरो ने जल्द ही एसएसएलवी D2 लॉन्च करने का दावा किया है.
किस स्टेज पर क्या परेशानी आई?
चौथे स्टेज के दौरान इसरो EOS 02 अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट से संपर्क नहीं साध पाया. इसरो ने कहा कि डेटा लॉस को स्टडी किया जा रहा है और जल्द ही उसे रेक्टिफाई किया जाएगा. हालांकि औपचारिक तौर पर इसरो ने डेटा लॉस को लेकर अधिक जानकारी नहीं दी है. SSLV 10 किलो से 500 किलो के पेलोड को 500 किलोमीटर के प्लैनर ऑर्बिट तक ले जाने में सक्षम है. हालांकि जिस ऑर्बिट तक की उम्मीद थी उस ऑर्बिट तक स्थापित नहीं कर पाए.
Supreme Court: अविवाहित महिलाओं को गर्भपात कानून के तहत लाने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट, दी ये दलील