Agnipath Scheme: संसद के मानसून सत्र में गूंजा अग्निवीर स्कीम में जाति का मुद्दा, केंद्र पर हमलावर विपक्ष
Parliament Monsoon Session: एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने तल्खी के साथ कहा कि मोदी जी आइडेंटिटी पॉलिटिक्स खेल रहे हैं.
Agnipath Scheme: सेना में भर्ती (Army Recruitment) की नई प्रक्रिया वाली केंद्र सरकार (Central Government) की अग्निवीर योजना (Agniveer Scheme) में अब एक नया विवाद पैदा हो गया है. महज 4 साल के लिए ही सेना में भर्ती (Army Recruitment) वाली इस योजना का विपक्षी दल (Opposition Party) पहले से ही विरोध कर रहे थे. और अब इन अग्निवीरों से जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने को लेकर नया बवाल खड़ा हो गया है. बिहार में बीजेपी (BJP) के साथ मिल कर सरकार चला रही जेडीयू (JDU) ने भी इस स्कीम में जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने की मंशा पर सवाल खड़ा कर दिया है.
दरअसल बिहार में बीजेपी सहयोगी जेडीयू सहित विपक्ष का कहना है कि जब सेना में आरक्षण लागू नहीं होता तब अग्निवीरों से जाति प्रमाण पत्र मांगने की क्या आवश्यकता है. विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार सेना में जाति के आधार पर छंटनी और भेदभाव करना चाहती है. जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने ट्विटर पर लिखा है कि, “माननीय रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह जी, सेना की बहाली में जाति प्रमाण पत्र के साथ जाति-धर्म की जानकारी देने-लेने का यदि को सदुपयोग है तो स्पष्ट होना चाहिए अन्यथा इसके दुरुपयोग की आशंका देशवासियों में वाज़िब है. कृपया आशंका दूर करवायें.”
राज्यसभा में अग्निवीर स्कीम पर चर्चा के लिए दिया नोटिस
अग्निपथ योजना में नीतिगत सुधार के विषय पर सांसद संजय सिंह ने आज राज्यसभा के शून्यकाल में नोटिस दिया और इस माध्यम से सदन में अग्निवीर स्कीम के मुद्दे को उठाने के लिए राज्यसभा के सभापति से अनुमति मांगी. हालांकि ये अनुमति उन्हें नहीं दी गई.
चीन की सेना भर्ती से की तुलना
आप सांसद संजय सिंह ने कहा- मोदी सरकार ने भारत की सेना और भारत की सुरक्षा के साथ विश्वासघात किया है. दुश्मन देश चीन हर साल 4.5 लाख सैनिक भर्ती करता है, हम हर साल 34 हज़ार सैनिक कम कर रहे. 20 साल में तो भारत की सेना आधी हो जायेगी. मोदी जी ने मित्रों का 11 लाख करोड़ माफ कर दिया लेकिन सेना के लिए पैसा नहीं है.
तेजस्वी यादव ने भी जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता पर उठाया सवाल
एक ओर विपक्ष संसद में अग्निवीर स्कीम पर चर्चा की मांग कर रहा है वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेज़स्वी यादव ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा है कि, “आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी. सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छंटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छंटनी करेगी. सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत?”
'जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की'
ये दोहा लिखते हुए तेजस्वी ने ये भी लिखा कि “संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है. ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन RSS बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा.”
कांग्रेस ने भी दी है तीखी प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा, 'इस देश में सेना में जाने वाले युवा देश पर शहीद होने के जज़्बे के साथ जाते हैं. ऐसे में उनकी जाति पूछ कर उनकी छंटनी करना ठीक नहीं है. कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि अग्निवीर स्कीम में देश के वीरों के लिए न प्रमोशन है, न रैंक है, न सुरक्षा है. देश की सुरक्षा के लिए भी ये ठीक नहीं है. इसमें चार साल की नौकरी के लिए युवाओं को एक्सपोज करना ठीक नहीं है.'
'मोदी जी आइडेंटिटी पॉलिटिक्स खेल रहे हैं'
एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए लोकसभा (Lok Sabha) में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adheer Ranjan Chaudhary) ने तल्खी के साथ कहा कि मोदी जी आइडेंटिटी पॉलिटिक्स (Identity Politics) खेल रहे हैं. अग्निवीरों (Agniveer) से जाति पूछ कर उनकी छंटनी की जा रही है. कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने कहा कि अग्निवीर स्कीम (Agniveer Scheme) में जाति पूछा जाना सरकार और बीजेपी की बेहद खतरनाक मंशा का सूचक है. ये भाजपा (BJP) की समाज को जाति धर्म में बांटने की ही नीति का सेना में एक्सटेंशन है. कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला (Rajeev Shukla) ने कहा कि अग्निवीर योजना (Agniveer Scheme) का आधार ही गलत है. इसमें चार साल नौकरी करने के बाद जब अग्निवीर युवक शादी लायक होगा तो वो बेरोजगार हो चुका होगा. ऐसे में इस पूरी योजना को फिर से विपक्ष के साथ चर्चा करके, एक सहमति के आधार पर लाना चाहिए.
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