लोकसभा में उठा दार्जिलिंग बंद का मुद्दा, केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी के रवैये को ठहराया जिम्मेदार
शून्यकाल में सीपीएम के मोहम्मद सलीम ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर एक महीने से अधिक समय से आंदोलन चल रहा है और पुलिस गोलीबारी में लोगों के मारे जाने के मामले सामने आये हैं.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के कारण बनी अशांति का मुद्दा आज लोकसभा में उठाया गया. जहां सीपीएम के एक सदस्य ने इस स्थिति के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्र सरकार पर भी चुप्पी साधने का आरोप लगाया है. वहीं बीजेपी की एनडीए सरकार ने भी कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के लिए ममता बनर्जी सरकार के रवैये को जिम्मेदार ठहराया.
शून्यकाल में सीपीएम के मोहम्मद सलीम ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर एक महीने से अधिक समय से आंदोलन चल रहा है और पुलिस गोलीबारी में लोगों के मारे जाने के मामले सामने आये हैं.
उन्होंने कानून व्यवस्था बिगड़ने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री कह रहे हैं कि इलाके में राशन रोक देंगे.
सलीम ने कहा कि इतने संवेदनशील विषय पर केंद्र सरकार चुप नहीं रह सकती.
उन्होंने कहा कि केंद्र, राज्य और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) की त्रिपक्षीय बैठक बुलाई जानी चाहिए और केंद्र सरकार मुख्यमंत्री को दार्जिलिंग में कानून, संविधान के अनुसार काम करने को कहे.
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार पूरे मामले पर चिंतित है. दार्जिलिंग में स्थिति विकट होती जा रही है और उस शांत पहाड़ी क्षेत्र में आग लगने के लिए पश्चिम बंगाल की सरकार, वहां की मुख्यमंत्री का रवैया जिम्मेदार है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अनुरोध कर रही है कि पहले राज्य सरकार वहां शांति, कानून व्यवस्था स्थापित करे. फिर केंद्र सरकार बातचीत के लिए पहल कर सकती है. गौरतलब है कि अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर जीजेएम समर्थक दार्जिलिंग में आंदोलन चला रहे हैं और वहां पिछले कई दिन से बंद की स्थिति है.