नोटबंदी के दौरान बड़े पैमाने पर नगद कारोबार करने वाले 60 हजार लोगों पर आईटी विभाग की पैनी नजर
नई दिल्ली: नोटबंदी के दौरान बड़े पैमाने पर नगद में कारोबार करने के मामले में आय़कर विभाग ने 60 हजार से ज्यादा लोगों की पहचान की है. इसके अलावा 6000 से ज्यादा ऊंची कीमत वाली संपत्तियों की खऱीद फरोख्त और 6600 से ज्यादा मामले बाहर पैसा भेजे जाने के सामने आए हैं. अब इन सब की विस्तार से पड़ताल होगी.
ये लोग हैं ‘हाई रिस्क पर्सन’ की श्रेणी मे शामिल
आय़कर विभाग की ओर जारी एक बयान के मुताबिक, 60 हजार लोगों मे 1300 ऐसे हैं जिन्हे ‘हाई रिस्क पर्सन’ की श्रेणी मे शामिल किया गया है. इस श्रेणी में वो कारोबारी शामिल हैं जिन्होंने अपने पुराने ट्रैक रिकॉर्ड या व्यवसाय के मानकों के विपरीत बड़े पैमाने पर नकद में माल बेचा.
इसके अलावा बैंकों मे भारी रकम जमा करने वाले सरकारी और सरकारी कंपनियों के कर्मचारी, मोटी खरीद करने वाले, शेल कंपनियों के सहारे पैसा इधर-उधर करने वाले और आय़कर विभाग से पूछे जाने के बावजूद जवाब नही देने वाले लोग भी ‘हाई रिस्क पर्सन’ की श्रेणी में शामिल किए गए हैं. ऐसे तमाम लोंगो की पहचान आंकड़ों के विश्लेषण और फंड ट्रैकिंग के जरिए की गयी.
'ऑपरेशन क्लीन मनी'
ये सबकुछ 'ऑपरेशन क्लीन मनी' का हिस्सा है जिसके तहत ऑनलाइन माध्यम के जरिए नोटबंदी के दौरान बैंकों में जमा करायी गयी नगद की पड़ताल की गयी. इसमें शुरआती दौर पर 17.92 लोगों की पहचान की गयी जिनकी ओर से जमा करायी गयी रकम, उनके टैक्स रिटर्न से मेल नहीं खा रहा था. ऐसे लोगों में 9.46 लाख लोगो ने जवाब दिया और बताया कि उनके पास नगद कहां से आया था. 35 हजार से ज्यादा मामलों में ऑन लाइन पूछ ताछ की गयी और उसी आधार पर 7800 मामलों का निपटारा किया. ये तय हुआ कि जुन मामलों में नगद के स्रोत के बारे संतोषजनक जानकारी दी गयी है या फिर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत नगद की जानकारी दी गयी है, ऐसे सभी मामलों को बंद कर दिया जाए.
दूसरे चरण में बाकी मामलों की विस्तार से पड़ताल
अब दूसरे चरण में बाकी मामलों की विस्तार से पड़ताल होगी. सरकार का कहना है कि नोटबंदी के दौरान प्राप्त सूचनाओं के आधार पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की गयी. 9 नवम्बर 2016 से 28 फरवरी 2017 के बीच 2362 छापे मारे गिए. इनमें 818 करोड़ रुपये कीमत के नोट और कीमती सामान जब्त किए गए. इन मामलों में 9334 करोड़ रुपये की अघोषित आय का भी पता चला. 400 से भी ज्यादा मामले प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई को सौंपे गए है. 3400 से ज्यादा मामलों की अलग से पड़ताल की गयी है.
पांच सालो में सबसे ज्यादा कर से कमाई
सरकार का दावा है कि इन्ही सब की वजह से 2016-17 के दौरान जहां 21.7 फीसदी ज्यादा आय़कर रिटर्न दाखिल किए गए, वहीं पांच सालो में सबसे ज्यादा कर से कमाई हुई. प्रत्यक्ष कर यानी इनकम टैक्स (आयकर) और कॉरपोरेट टैक्स (निगम कर) में कुल मिलाकर 16 फीसदी औऱ शुद्ध रूप से 14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. सरकार का कहना है कि संदिग्ध मामलों की पड़ताल में एक साल से ज्यादा का समय लग सकता है, लेकिन कोशिश यही है कि जिन पर टैक्स की देनदारी बनती है, उन्हे टैक्स के दायरे में लाया जाए.