हैदराबाद: उद्योग मंडल 'एसोचैम' का कहना है कि पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने को लेकर राज्यों के साथ सहमति बनना काफी मुश्किल है क्योंकि केंद्र व राज्य, दोनों ही राजस्व के मामले में इस क्षेत्र पर कुछ ज्यादा ही निर्भर हैं.


वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में राज्यसभा में कहा था कि केंद्र ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का समर्थन किया है लेकिन ये काम तभी संभव है जब राज्यों में सहमति बन पाएगी.


'एसोचैम' के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाना हमेशा से ही अपेक्षित रहा है ताकि ईंधन मूल्य शृंखला की दक्षता बढ़े और ग्राहकों पर कर बोझ कम हो.


डीएस रावत ने मीडिया से कहा, अगर वास्तविक बात की जाए तो केंद्र व राज्य दोनों ही अपने राजस्व संग्रहण के लिए पेट्रोलियम क्षेत्र पर कुछ ज्यादा ही निर्भर हैं. कुल मिलाकर पेट्रोल व डीजल पर 100-130 प्रतिशत से अधिक कर लगता हैं.