Paradesh Inn Kovalam: इटली के रहने वाले कपल मौरो सारंड्रिया और मरीना मतियोयोली अब फर्राटेदार हिंदी बोलते हैं. मौरो और मरीना ने शुरुआत में हिंदी महज इसलिए बोलना सीखा था ताकि कोवलम में पैराडाइज़ इन होटल में आने वाले उत्तर भारतीय ग्राहकों के साथ बातचीत कर सकें. हिंदी की कक्षाएं लेने के बाद अब ये दोनों केवल ग्राहकों से हिंदी बोलने से आगे निकल चुके हैं.
मौरो सारंड्रिया और मरीना मतियोयोली अब हिंदी बोलना ही नहीं बल्कि हिंदी लिखना भी जानते हैं और दोनों ने शनिवार को कॉटन हिल स्कूल में हिंदी प्रधमा पाठ्यक्रम की परीक्षा दी. दरअसल, यह इटली के एक दंपति की कहानी है, जो पास्ता से लेकर चपाती, चावल और चटनी से प्यार करते हैं.
अभी होगा या कभी नहीं होगा- मौरो
मौरो सारंड्रिया जो अब 63 साल के हो चुके हैं, ने अंग्रेजी अखबार टीओआई से कहा, "भारत के लिए हमारा प्यार मुख्य रूप से इसके विभिन्न धार्मिक और प्राचीन ग्रंथों की हमारी समझ से आया. हम मानते हैं कि विदेशों में इन शास्त्रों के ज्ञान को अक्सर कम आंका जाता है और अनदेखा किया जाता है. मेरी पत्नी 1978 से 1988 तक उत्तर भारत के एक आश्रम में रहीं, जिसके बाद से वो हिंदी भाषा को बेहतर ढंग से बोलती हैं. हमें कभी भी हिंदी भाषा सीखने का समय नहीं मिला, लेकिन अब हमारी उम्र इसके लिए और इंतजार नहीं करेगी, हमने सोचा कि यह अभी होगा या कभी नहीं होगा."
भारतीय नागरिकता पाने की कोशिश
मौरो सारंड्रिया और मरीना मतियोयोली को भारत से इतना प्यार हो गया है कि अब वे भारतीय नागरिकता पाने की कोशिश कर रहे हैं. कपल ने कहा कि पैराडाइज़ इन उनका अपना छोटा सा स्वर्ग है, जिसे उन्होंने इस प्यारे देश में स्थापित किया है. मौरो और मरीना भगवान कृष्ण के परम भक्त हैं, वे यहां के लोगों, यहां के भोजन से लेकर सांस्कृतिक विरासत तक से प्यार करते हैं.
मौरो ने कहा, "हमें यहां बसे हुए 18 साल हो गए हैं. मुझे याद है कि मैं करीब सात साल पहले छुट्टियों में इटली गया था. यात्रा के पांच दिन बाद, हमने एक-दूसरे से कहा कि हमें भारत वापस अपने घर जाना चाहिए."
केरल में परीक्षा देने वाले पहले विदेशी
मौरो ने आगे कहा, इटली से होने के नाते, यह जाहिर सी बात है कि मुझे पास्ता पसंद है, लेकिन मुझे भारतीय खाना भी पसंद है. खासकर मेरी पत्नी अच्छा चावल और चटनी बनाती हैं. भारत से प्यार न करना असंभव है." वहीं, तिरुवनंतपुरम में हिंदी प्रचार सभा के सचिव एडवोकेट मधु बी ने कहा कि मौरो और 62 साल की मरीना केरल में परीक्षा देने वाले पहले विदेशी हैं.
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